(www.arya-tv.com) कानपुर कांड में शामिल अपराधी इतने शातिर थे कि उन्हें तकनीकी तौर पर भी काफी जानकारी थी। घटना के बाद जब आरोपित फरार हुए तो उन्होंने एक दूसरे से सम्पर्क करने के लिए व्हाट्सएप कॉल का प्रयोग किया। उन्हें इस बात की अच्छे से जानकारी थी कि व्हाट्सएप कॉल को रिकार्ड या ट्रेस नहीं किया जा सकता। पुलिस ने उसका भी रास्ता निकाल लिया। स्पीकर ऑन करने के साथ दूसरे फोन पर व्हाट्सएप कॉल रिकार्ड की गई।
2 जुलाई को कानपुर के बिकरू में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद सभी आरोपित भाग निकले थे। प्रेम प्रकाश और अतुल दुबे ने सीधे फोन का इस्तेमाल किया। पुलिस रात भर में संदिग्ध नम्बरों को ट्रेस कर रही थी और सर्विलांस सिस्टम एक्टिव कर दिया गया था। इसके चलते दोनों की लोकेशन कांशीराम निवादा गांव में ट्रेस हुई। पुलिस ने घेराबंदी की और मुठभेड़ में दोनों को ढेर कर दिया। इसके बाद से सभी अपराधी अलर्ट हो गए। उन्होंने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना छोड़ दिया। एक दूसरे से सम्पर्क में रहने के लिए शातिरों ने व्हाट्सएप कॉल का प्रयोग करना शुरू कर दिया।
पुलिस ने निकाला तरीका
व्हाट्सएप कॉल ट्रेस नहीं हो सकती पर पुलिस ने उसे रिकार्ड करने का तरीका निकाल लिया। पुलिस ने एक भाजपा नेता को कथित विकास दुबे से व्हाट्स एप कॉल से बात करवाई और उस फोन का स्पीकर ऑन करके दूसरे फोन से दोनों की बातचीत रिकार्ड कर ली थी। उसी आधार पर पुलिस ने आगे की कार्रवाई शुरू की।