- कुलपति प्रो. संजय सिंह ने ‘भारत बौद्धिक्स’ योजना के अंतर्गत पुस्तकों का किया विमोचन
- भारतीय ज्ञान परंपरा की इन पुस्तकों को ऑडियो विजुअल , साकेतिक भाषा एवं ब्रेल लिपि में भी उपलब्ध कराया जाएगा:आचार्य संजय सिंह
डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने 22 दिसंबर 2025 को विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के अत्यंत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के अंतर्गत शिक्षा की मुख्य धारा में भारतीय ज्ञान परंपरा को एकीकृत करने के उद्देश्य से ‘भारत बौद्धिक्स’ योजना के अंतर्गत कला विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान विषयों पर आधारित 21 पुस्तकों का विमोचन किया।। कार्यक्रम के दौरान मुख्य तौर पर विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के क्षेत्र संयोजक प्रो. जय शंकर पांडेय, डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स वी. के. सिंह , विश्वविद्यालय के कुलसचिव रोहित सिंह , कुलानुशासक प्रो. सी के दीक्षित, निदेशक भर्ती डॉ. संजीव गुप्ता,अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. आशुतोष पांडेय, अवध गर्ल्स कॉलेज से प्रो. बीना राय,नागरिक शिक्षा निकेतन से प्रो. सुनीता कुमार एवं समाजशास्त्र विभाग के डॉ. विजय वर्मा, कृत्रिम अंग एवं पुनर्वास केंद्र के कार्यशाला प्रबंधक डॉ. रणजीत कुमार उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. आशुतोष पांडेय एवं धन्यवाद ज्ञापन अधिष्ठाता शैक्षणिक प्रो वी के सिंह द्वारा किया गया ।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने विद्या भारती के इस प्रयास की सरहाना करते हुए विश्वविद्यालय के समस्त पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपरा के समुचित समावेशन की बात की। आचार्य संजय सिंह ने कहा कि डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में 4 साल का राष्ट्रीय शिक्षा नीति कार्यक्रम लागू कर दिया गया है, जिसमें इंडियन नॉलेज सिस्टम भी सम्मिलित है इस संदर्भ में इन पुस्तकों की महता और बढ़ जाती है। हमारे विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से लागू किया गया है। इस विश्वविद्यालय में इन पुस्तकों को ऑडियो विजुअल , साकेतिक भाषा एवं ब्रेल लिपि में भी उपलब्ध कराया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से भारतीय ज्ञान प्रणाली को शिक्षा व्यवस्था में सम्मिलित किया गया है तथा उसके समन्वय पर विशेष बल दिया गया है।
आज विश्व के समक्ष पर्यावरणीय संकट, नैतिक मूल्यों का ह्रास, आदर्शों की कमी, संस्कृति एवं परंपराओं से दूरी जैसी अनेक प्रकार की समस्याएँ दिखाई दे रही हैं, जिनका समाधान भारतीय ज्ञान परंपरा और दर्शन के माध्यम से संभव है। भारतीय ज्ञान की विशिष्टता और महत्त्व को विश्व सदियों से अनुभव करता आ रहा है और आज उसे और अधिक गहराई से समझ रहा है। यही कारण है कि भारतीय योग और दर्शन को आज भारत से भी अधिक विश्व के अनेक देशों में पढ़ा, अपनाया और व्यवहार में लाया जा रहा है। चाहे भारतीय योग-दर्शन हो, वास्तुकला, मानसिक स्वास्थ्य, पंचकोश आधारित शिक्षा, स्थापत्य कला या आयुर्वेद इन सभी क्षेत्रों में भारतीय ज्ञान की समृद्ध परंपरा उपलब्ध है, जो समय की कसौटी पर परखी हुई है और जिनमें बिना अत्यधिक अनुसंधान के भी व्यावहारिक रूप से कार्य किया जा सकता है। हम सभी का यह कर्तव्य है कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के मार्ग पर चलते हुए भारतीय ज्ञान और दर्शन का उपयोग विश्व की समकालीन समस्याओं के समाधान में किया जाए। इस दिशा में विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान ने यह महत्त्वपूर्ण दायित्व अपने हाथ में लिया है कि भारतीय ज्ञान परंपरा और दर्शन की प्रामाणिकता को आधुनिक दृष्टिकोण एवं वैज्ञानिक दृष्टि के साथ जनमानस तक पहुँचाया जाए, ताकि समाज उसका सार्थक एवं व्यावहारिक उपयोग कर सके।
प्रो. जयशंकर पांडेय ने बताया कि विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान की ओर से उक्त विषय पर केंद्रित ‘भारत बौद्धिक्स’ परीक्षा का आयोजन उच्च शिक्षा के स्नातक एवं परास्नातक विद्यार्थियों के लिए 31 जनवरी एवं 1 फरवरी को आयोजित किया जाएगा। यह परीक्षा ऑफलाइन मोड में होगी।
यह परीक्षा हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में होगी। इसमें कुल 100 अंक का पेपर होगा। जिसमें 80 अंक बहुविकल्पीय प्रश्नों तथा 20 अंक वर्णनात्मक प्रश्नों के लिए निर्धारित है। उन्होंने बताया कि देशभर में इस परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को प्रथम पुरस्कार ₹100000, द्वितीय पुरस्कार ₹50000 तृतीय पुरस्कार ₹25000 और चतुर्थ पुरस्कार ₹2500 व प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं अधिकारीगण उपस्थित रहे।
