उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए वाराणसी जिला कारागार में फर्जी रिहाई के एक गंभीर मामले में त्वरित कार्रवाई की है. इस कार्यवाही में जेल अधीक्षक, कारापाल और उप कारापाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
यह कार्रवाई उस प्रकरण के बाद की गई है, जिसमें धोखाधड़ी और साइबर अपराध के आरोप में निरुद्ध बंदी सुनील कुमार उर्फ सुनील चौधरी को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध रूप से रिहा कर दिया गया था.
अनुशासनिक कार्रवाई शुरू
कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए थे. इस मामले में उप महानिरीक्षक (कारागार), वाराणसी द्वारा कराई गई प्रारंभिक जांच में पाया गया कि संबंधित अधिकारियों ने जेल मैनुअल और विभागीय प्रक्रिया का उल्लंघन किया, जिससे फर्जी रिहाई संभव हो सकी. जांच रिपोर्ट में तत्कालीन जेल अधीक्षक, कारापाल और प्रभारी हवालात उप कारापाल की संलिप्तता स्पष्ट रूप से उजागर हुई.
आपको बता दें कि इन अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है. मंत्री ने कहा कि जेल जैसी संवेदनशील संस्था में इस प्रकार की लापरवाही न तो स्वीकार्य है और न ही क्षम्य. उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार या अनियमितता को बर्दाश्त नहीं करेगी और दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाएगी.