(www.arya-tv.com) .सारण जिले के रसूलपुर थाना क्षेत्र की देवपुरा पंचायत के खजुहान गांव के सोनू साह मंगलवार की देर शाम अपने 41 मजदूर साथियों के साथ बाहर निकल आया. बाहर निकलते उत्तरकाशी के सिलक्यार टनल के घटनास्थल पर 16 दिनों से इंतजार कर रहे अपने छोटे भाई को देख भावुक हो गया और गले लगाकर रोने लगा. निकलने की खबर सुन परिजनों को जान में जान आई. बता दें कि इलेक्ट्रिशियन के तौर पर सुरंग में काम कर रहे सोनू का छोटा भाई सुधांशु घटना के दिन ही गुड़गांव से हो उत्तरकाशी पहुंच गया था और 16 दिन से घटनास्थल पर ही टकटकी लगाए बैठा था. उधर चार-चार बार बात होने के बावजूद सोनू की आंगनबाड़ी सेविका मां शिवमुखी देवी ने कहा कि बेटे को जब तक आंखों से देख नहीं लेतीं तब तक चैन नहीं आएगा.
बता दें कि दिवाली के दिन घटना की सूचना मिलते ही घटनास्थल पर गुड़गांव दिल्ली से पहुंचा पेशे से क्वालिटी इंजीनियर सोनू का छोटा भाई सुधांशु साह पल पल की खबर देकर परिवार को ढाढस बंधा रहा था. घटनास्थल से ही भाई को बाहर निकलने का इंतजार कर रहे सुधांशु ने बताया कि उतराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व ऊनके एक कैबिनेट मंत्री बीक के सिंह पहले सुरंग में पहुंच पीड़ितों से मिले और हर संभव मदद करने की बात कही.
घटनास्थल पर पहुंचे सुधांशु ने बताया कि उसका बड़ा भाई नवयुग कंस्ट्रक्शन कंपनी में पिछले करीब दस वर्षों से इलेक्ट्रीशियन है. उतरकाशी में बन रही साढ़े चार किमी लम्बी सुरंग निर्माण में चार वर्ष से कार्यरत है. घटना के दिन रात्रि ड्यूटी कर सुबह पांच बजे अपने डेरा साथियों के साथ लौट रहा था कि सुरंग धंसने की खबर आई. सुधांशु के अनुसार, दूसरे तीसरे दिन से ही सरकार ,प्रशासन और कंपनी ने वायरलेस कनेक्शन कर पीड़ितों से बात करानी शुरू की.
सुधांशु ने बताया कि सोनू भैया और वे दोनों छठ में जाने की योजना बनाए थे, पर नहीं पहुंच सके. छठी मैया की कृपा से मेरा भाई सुरक्षित है. दो तीन दिन बाद पाइप के रास्ते खाना नाश्ता भी पीड़ितों को मिलने से राहत महसूस होने लगी. घटना से दुखित पीड़ित परिजनों ने कहा कि घटना के दिन से ठीक से भोजन तक वे सब नहीं कर पा रहे थे. पूरा मुहल्ला मर्माहत था पर प्रशासन अथवा किसी जनप्रतिनिधि ने उनके परिवार की सुधि तक नहीं ली. सोनू की पत्नी उसकी सात वर्षीय बेटी और सारे परिवार को लेकर 17 दिन कैसे कटा यह हम ही जानते हैं.