कॉर्बेट के ढेला रेस्क्यू सेंटरों में वन्यजीवों के लिए विशेष इंतजाम, ठंड से बचने के लिए तैयार हुआ डाइट चार्ट

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रामनगर। उत्तराखंड के रामनगर में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला स्थित रेस्क्यू सेंटर में वन्यजीवों की देखभाल के लिए विशेष और वैज्ञानिक इंतजाम किए गए हैं। यहां 11 बाघ और करीब 14 बाघ लाए गये हैं, वहीं कालागढ़ हाथी कैंप और अन्य क्षेत्रों में कॉर्बेट पार्क के पास लगभग 14 पालतू हाथी मौजूद हैं, जिनकी सर्दियों में विशेष देखभाल की जा रही है।

ढेला रेस्क्यू सेंटर में रखे गए बाघ और बाघ जंगल की तरह शिकार नहीं करते इसलिए उनकी डाइट पूरी तरह वैज्ञानिक आधार पर तय की जाती है, यह पूरी व्यवस्था वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सा अधिकारी डॉ. दुष्यंत शर्मा की निगरानी में संचालित की जा रही है। सर्दियों में तापमान गिरने के साथ ही इन वन्यजीवों के आहार, रहन-सहन और स्वास्थ्य प्रबंधन में बदलाव किया जाता है, ताकि उनका स्वास्थ्य, ऊर्जा स्तर और शरीर का तापमान संतुलित बना रहे।

डॉ. शर्मा के अनुसार सर्दियों में बाघ और अन्य जानवरों की भूख सामान्य से अधिक बढ़ जाती है, इसका कारण यह है कि ठंड के मौसम में इनका बेसल मेटाबॉलिक रेट (बीएमआर) बढ़ जाता है। बीएमआर बढ़ने के कारण शरीर को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, इसलिए उनकी फीडिंग बढ़ाई जाती है, इसी के तहत सर्दियों में बाघों और लेपर्ड को विटामिन-डी और कैल्शियम का सप्लीमेंट अलग से दिया जाता है।

इसके अलावा इन्हें ऐसे टॉनिक भी दिए जाते हैं जिनमें आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन्स और मिनरल्स का संतुलित संयोजन होता है, इससे न केवल इनका पाचन तंत्र बेहतर रहता है, बल्कि इम्युनिटी भी मजबूत होती है, डॉ. शर्मा बताते हैं कि सर्दियों में जानवरों के लिए शरीर की गर्मी बनाए रखना, इम्युन सिस्टम को मजबूत रखना और ठंड से होने वाली बीमारियों से बचाव बेहद जरूरी होता है।

ठंड ज्यादा बढ़ने या पाला गिरने की स्थिति में बाघ और लेपर्ड के एंक्लोजर में विशेष इंतजाम किए जाते हैं,उनके नीचे फर्श पर पराली बिछाई जाती है, ताकि जमीन की ठंड सीधे उनके शरीर तक न पहुंचे,इस पराली की नियमित सफाई की जाती है और समय-समय पर इसे बदला भी जाता है। साथ ही धूप सेकने के लिए खुले एंक्लोजर की व्यवस्था की गई है और अत्यधिक ठंड होने पर जरूरत के अनुसार हीटर भी लगाए जाते हैं।