ऋषिकेश। उत्तराखंड के टिहरी गजा क्षेत्र के अंतर्गत माणदा तोली डांडा से दुवाकोटी सड़क के ऊपर बीते कई दिनों से जंगलों में भीषण आग लगी हुई है। सर्दियों के मौसम में जंगलों का इस तरह जलना गंभीर चिंता का विषय बन गया है। देर रात आग की चपेट में आकर बांज सहित अन्य प्रजातियों के पेड़-पौधे जलकर नष्ट हो गए हैं, वहीं कई वन्य जीव-जन्तुओं के भी झुलसने की आशंका जताई जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि आग बुझाने के लिए वन विभाग की ओर से अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है। जंगलों के नीचे कई महत्वपूर्ण प्राकृतिक जल स्रोत स्थित हैं, जिनसे नगर पंचायत गजा को पेयजल आपूर्ति होती है। इसके साथ ही सड़क किनारे मौजूद पेयजल स्रोतों पर भी आग का प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
सेवानिवृत्त प्रवक्ता बचन सिंह खडवाल ने बताया कि वनाग्नि से छोटे पौधे, पेड़ों के बीज और जीव-जन्तु नष्ट हो जाते हैं, जिससे जंगलों का प्राकृतिक पुनर्जीवन रुक जाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आग की घटनाओं पर रोक नहीं लगी तो आने वाले वर्षों में पहाड़ नंगे हो सकते हैं, जो जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से अत्यंत घातक होगा। आग के कारण जंगली जानवरों का रुख आबादी की ओर होने लगा है।
ग्राम दुवाकोटी निवासी यशपाल सिंह चौहान और सोबत सिंह चौहान ने बताया कि उनके गांव के समीप दोपहर के समय भालू दिखाई देने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। सूत्रों के अनुसार माणदा तोली डांडा से दुवाकोटी सड़क के ऊपर तक का पूरा वन क्षेत्र आग की चपेट में आ चुका है। सर्दियों में भी जंगलों में लग रही आग ने वन संरक्षण व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरे की ओर संकेत किया है।
