US ने ट्रैवल बैन हटाया;अमेरिका जा सकेंगे भारतीय

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(www.arya-tv.com)अमेरिका ने 20 महीने बाद ट्रैवल बैन खत्म कर दिया है। US ने सोमवार से भारत, मेक्सिको, कनाडा सहित ज्यादातर देशों के टूरिस्ट के लिए फिर दरवाजे खोल दिए हैं। हालांकि, अमेरिका में एंट्री लेने के लिए वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जरूरी होगा।

कोरोना संक्रमण के केस बढ़ने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान मार्च 2020 में ट्रैवल बैन लगाया था। जिन देशों पर बैन गया था, उनमें भारत, चीन, ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन सहित ब्राजील मेक्सिको और कनाडा भी शामिल थे। तब से अब तक पिछले 20 महीने से लाखों लोग अपने परिजनों से मिलने का इंतजार कर रहे थे।

अमेरिका मेक्सिको जैसे देशों पर ज्यादा असर
ट्रैवल बैन के कुछ महीनों बाद अमेरिका से दूसरे देशों में जाने की छूट दे दी गई थी, लेकिन उन्हें अमेरिका लौटने पर कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इसका सबसे ज्यादा असर मेक्सिको और कनाडा जैसे अमेरिका के पड़ोसी देशों पर पड़ा था। इन देशों की बॉर्डर अमेरिका से लगने के कारण यहां के लोग नौकरी और व्यापार के सिलसिले में अक्सर अमेरिका जाते रहते थे।

प्रतिबंध लगने के बाद कई लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी तो कईयों का बिजनेस चौपट हो गया। कोरोना संक्रमण के पीक के समय कनाडा के लोगों को अमेरिका जाने से पहले RTPCR जांच करानी होती थी, जिसका खर्च 250 डॉलर (करीब 15 हजार रु.) होता था।

अमेरिका ने फ्लाइट से US पहुंचने वाले यात्रियों के लिए प्रतिबंध खत्म कर दिए हैं, लेकिन लैंड बॉर्डर से बैन धीरे-धीरे खत्म किया जाएगा। दरअसल, अमेरिकी प्रशासन को डर है कि अचानक लैंड बॉर्डर पूरी तरह खोल देने से कोरोना के मामले दोबारा बढ़ सकते हैं। इसलिए उन्होंने लैंड बॉर्डर 2 चरणों में खोलने का फैसला किया है।

 ये नियम फॉलो करने होंगे

  • बिना वैक्सीनेशन वाले ट्रैवलर्स (चाहे अमेरिकी नागरिक हों) को यात्रा से एक दिन पहले कोरोना का RTPCR टेस्ट कराना होगा।
  • पूरी तरह से वैक्सीनेट यात्रियों को बोर्डिंग से 3 दिन पहले की निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी।
  • वैक्सीन न लगवाने वाले बच्चों (नाबालिग) को भी 3 दिन पहले कोरोना टेस्ट कराना होगा।
  • एयरलाइन कंपनियों ने बनाया दबाव

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 20 महीनों से लगे ट्रैवल बैन से एयरलाइन कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा था। कंपनियां लगातार अमेरिकी सरकार पर बैन हटाने का दबाव बना रही थीं। नए नियमों के तहत एक जिम्मेदारी एयरलाइंस को भी दी गई है। उन्हें अब हर यात्री का सटीक डेटा रखना होगा, ताकि आसानी से कांनटैक्ट ट्रेसिंग की जा सके।