(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से करीब 5 महीने पहले योगी सरकार का दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार रविवार को आखिरकार हो गया। 60 सदस्यीय मंत्रिमंडल में अगड़ों और पिछड़ों व अनुसूचित जाति के बीच 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदारी की रणनीति पर काम किया गया है। इस तरह अब अगड़ी जातियों के 26 मंत्री हो गए हैं। पिछड़ी जातियों के 23, अनुसूचित जातियों के 9 चेहरों के साथ एक सिख और एक मुस्लिम चेहरा यानी गैर अगड़े भी मंत्रिमंडल में हो गए हैं।
अगड़ों में 8 ब्राह्मण, 8 ठाकुर, 5 वैश्य 2 भूमिहार, 3 खत्री और 1 कायस्थ है। पिछड़ों में 5 कुर्मी, 3 जाट, 3 लोध, मौर्य और कहार 2-2 और गुर्जर, गड़रिया, निषाद, नोनिया चौहान, सैनी, यादव व राजभर समाज का एक-एक चेहरा है। सोनभद्र जिले के ओबरा विधानसभा से पहली बार जीते संजीव कुमार आदिवासी हैं। खास बात यह रही कि योगी कैबिनेट के दूसरे विस्तार में ठाकुर जाति से कोई नया चेहरा नहीं शामिल हुआ है।
बीते रविवार को हुए दूसरे विस्तार के बाद योगी मंत्रिमंडल में अब कुल 60 मंत्री हो गए हैं, ये 42 जिलों से आते हैं। भाजपा का लक्ष्य इनकी जातियों के जरिए प्रदेश की 300 सीटों के समीकरण अपने पक्ष में करना है।
कुल 60 मंत्री (सीएम समेत)
- अगड़े: 26 (8 ब्राह्मण, 8 ठाकुर, 5 वैश्य, 2 भूमिहार, 3 खत्री, 1 कायस्थ )
- पिछड़े: 23 (5 कुर्मी, 3 जाट, 3 लोध, 2 मौर्य , 2 कहार 1 गुर्जर, 1 गड़रिया , 1 निषाद, 1 नोनिया चौहान, 1 सैनी, 1 यादव, 1 राजभर, 1 मल्लाह )
- अनुसूचित जाति: 9 ( 2 कोरी, 1 पासी, 1 जाटव, 1 धोबी, 1 बेलदार, 1 आदिवासी, 1 खटीक, 1 सोनकर )
- अल्पसंख्यक: 2 (1 मुसलमान, 1 सिख)
रविवार को इन 7 चेहरों ने ली शपथ….केंद्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद, अकेला ब्राह्मण चेहरा
जितिन प्रसाद (ब्राह्मण)
- तीन महीने पहले वे कांग्रेस से भाजपा में आए थे। पहली बार वे 2004 में अपने गृह क्षेत्र शाहजहांपुर से लोकसभा चुनाव जीते थे। जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (1991) और पीवी नरसिम्हा राव (1994) के राजनीतिक सलाहकार रहे। वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रहे हैं।
- जितिन प्रसाद 2001 में युवा कांग्रेस के सचिव बने। 2004 में वे शाहजहांपुर लोकसभा सीट से पहली बार जीते। 2008 में केंद्रीय इस्पात मंत्री बनाए गए। 2009 में जितिन प्रसाद धौरहरा से जीतकर लोकसभा पहुंचे। यूपीए 2 में वे मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे।
- जितिन प्रसाद शाहजहांपुर, लखीमपुर और सीतापुर में काफी लोकप्रिय नेता हैं। 2014 में मोदी लहर में जितिन प्रसाद को धौरहरा सीट से हार का सामना करना पड़ा। 2019 में भी वे इस सीट से हार गए। 2017 में जितिन को विधानसभा चुनाव में शाहजहांपुर की तिलहर सीट से हार का सामना करना पड़ा।
संगठन में काम को तरजीह, ओबीसी को साधने की कोशिश
धर्मवीर प्रजापति (ओबीसी): ये हाथरस से आते हैं। विधान परिषद सदस्य हैं। 2021 में ही विधान परिषद में पहुंचे हैं। माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। संगठन पर बीते एक दशक से कार्य कर रहे हैं।
छत्रपाल गंगवार (कुर्मी) : ये बरेली के बहेड़ी से विधायक हैं। कुर्मी समाज से आते हैं। उम्र 65 साल है। रुहेलखंड क्षेत्र को कवर करेंगे। पहली बार साल 2007 के चुनाव में बहेड़ी सीट से विधानसभा पहुंचे थे। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले मंत्रिमंडल में छत्रपाल को शामिल कर भाजपा ने बरेली से सांसद संतोष गंगवार की मोदी कैबिनेट से छुट्टी की भरपाई की है।
संगीता बिंद (ओबीसी): संगीता बिंद 2017 में गाजीपुर सदर सीट से पहली बार विधायक चुनी गई हैं। राजनीतिज्ञ होने के साथ एक लेखक भी हैं और साहित्य में रुचि रखती हैं। 42 साल उम्र है। पिछड़ी जाति से आती हैं। इनके पिता स्व. रामसूरत बिंद रिटायर्ड पोस्टमैन थे। छात्र जीवन में पढ़ाई और कविता का शौक रहा है। छात्र जीवन में ही राजनीति की शुरुआत की। स्थानीय पीजी कॉलेज, गाजीपुर में छात्रसंघ उपाध्यक्ष रहीं।
बिंद के पति अवधेश होम्योपैथिक डॉक्टर हैं। पूर्वांचल में बिंद (ओबीसी) का अच्छा वोट बैंक है। संगीता इसी जाति से आती हैं। भाजपा से इनका जुड़ाव 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान हुआ, मनोज सिन्हा की करीबी मानी जाने वाली डॉ. संगीता को 2017 में सिन्हा के प्रयासों से ही टिकट मिला था।
दलितों को भी महत्व
- पलटू राम (दलित) : अयोध्या के अवध यूनिवर्सिटी से MA पास हैं। बलरामपुर से आते हैं। 2017 में पहली बार जीते थे। दलित समुदाय से हैं।
- संजीव कुमार (अनुसूचित जनजाति): सोनभद्र के ओबरा सीट से विधायक हैं। ये अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष हैं। आदिवासी समुदाय से आते हैं।
- दिनेश खटीक (एससी): मेरठ के हस्तिनापुर सीट से विधायक हैं। खटीक (सोनकर) समाज से आते हैं। ये भी दलित समुदाय से हैं। पश्चिम यूपी से मंत्री बने हैं। विधायक दिनेश खटीक मवाना थाना क्षेत्र के कस्बा फलावदा के रहने वाले हैं। दिनेश खटीक शुरू से ही भाजपा में रहे हैं और संघ के कार्यकर्ता हैं। इनके पिता भी संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। इनके भाई नितिन खटीक जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं।