गोरखपुर।(www.arya-tv.com) गोरखपुर जिला पंचायत अध्यक्ष (Gorakhpur District Panchayat President) की सीट इस बार सामान्य श्रेणी में आ जाने से यहां पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। अब कहा जा रहा है कि इस बार गोरखपुर जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर सियासी दलों के बीच भी कांटे की टक्कर होगी।
दरअसल, साल 2015 में गोरखपुर जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पिछड़ा वर्ग (Backward Class) के लिए आरक्षित हो गई थी। इसकी वजह से इस पद को हासिल करने की इच्छा रखने वाले कई दिग्गज नेताओं को मन मसोसकर रह जाना पड़ा था। वहीं, कई दावेदार इस चुनाव में उतरने से ही वंचित रह गए थे। वहीं, भाजपा (BJP) ने अपना प्रत्याशी भी नहीं उतारा था।
लेकिन इस बार राजनीतिक दलों के बीच भी लड़ाई कांटे की होगी। बता दें कि 2015 में अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले मनुरोजन यादव की पत्नी गीतांजलि ने यहां से जीत का परचम लहराया था. तब सपा के ही दो कद्दावर नेताओं के बीच जोरदार टक्कर हुई थी। तत्कालीन विधायक विजय बहादुर यादव ने अपने भाई अजय बहादुर को चुनाव मैदान में उतारा था।
जबकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले मनुरोजन यादव के पक्ष में स्थानीय नेताओं ने मोर्चा खोल दिया था। अन्य राजनीतिक दलों ने पीछे से गीतांजलि यादव को ही सपोर्ट किया।
इसका परिणाम रहा कि काफी पसीना बहाने के बावजूद विजय बहादुर यादव के भाई अजय बहादुर यादव को हार का सामना करना पड़ा. गीतांजलि यादव गोरखपुर जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गई थीं। ऐसे में इस बार मुकाबला कांटी की होगी। क्योंकि सामान्य सीट घोषित होने से दावेदारों की संख्या में वृद्धि होगी।
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वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि समाजवादी पार्टी का गढ कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के इटावा में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किए जाने के बाद समाजवादी खेमे मे खासा जोश देखा जा रहा है. सरकार की आरक्षण प्रकिया लागू होने के बाद अगर कोई सबसे अधिक खुश है तो वे निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष अभिषेक यादव के समर्थक बताये जा रहे हैं।
कारण ये है कि कुछ दिनों से इस तरह की खबरें सामने आ रही थीं कि नई आरक्षण नीति में इटावा की इस सीट को अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित किया जाएगा. शुक्रवार को जैसे ही यह सीट पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित घोषित की गई, वैसे ही सबके चेहरे पर खुशियां दिखाई देने लगीं।