(www.arya-tv.com)यूपी की राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की विशेष टीमों पिछले एक साल में घर से कई वर्षों से बिछडे हुए 963 बच्चों को उनके परिजनों से मिलवाया। अपनों से मिलने की उम्मीद खो चुके यह लोग एक दूसरे को पाकर खुद के आंसू न रोक सके। ये सभी ऐसे बच्चे थे जो अपने परिजनों से दूर अनजान शहरों में जीवन जीने पर मजबूर थे। जीआरपी उत्तर प्रदेश ने ऑपरेशन मुस्कान के तहत गुमशुदा बच्चों को उनके परिजनों से मिलाया। इनमें से कुछ ऐसे ही बच्चों की कहानी जिन्होंने अपनों से मिलने की उम्मीद ही खो दी थी और अपनी अंजान मंजिल की तरफ बढ़ने लगे थे।
रास्ता भटके अनिल ने मांगी भीख
13 साल का अनिल (काल्पनिक नाम) पिछले साल अपने परिवार के साथ दिल्ली घूमने आया था। जहां से अपनों का साथ छूटा और वह रास्ता भटक गया। अनिल परिजनों को खोजते हुए रेलवे स्टेशन तो पहुंच गया, लेकिन उसको पता नहीं जाना किससे है और वह जम्मू जा रही ट्रेन में बैठ गया। जम्मू पहुँचने पर पेट की खातिर करीब दस माह तक एक ढाबे पर काम करता रहा। वहाँ से वह ढाबा मालिक को बिना बताए फिर से दिल्ली की तरफ जाने वाली एक ट्रेनपर बैठ कर मथुरा पहुंच गया। जहां करीब 4 माह तक रेलवे स्टेशन, बस स्टेंड और सार्वजनिक स्थानों पर भीख माँग कर पेट पाला। उधर, उसको खोज रहे माता-पिता हर पुलिस स्टेशन पर उसकी गुमशुदगी की सूचना दे रहे थे। इसी बीच जीआरपी की ऑपरेशन मुस्कान टीम को अनिल मिल गया। उसने खुद को असम को रहने वाला बताया। जिसके बाद उसके परिजनों की खोजबीन शुरू हुई और अनिल को अपनों तक पहुंचाया गया।
दस साल बाद पिता से मिली तीन बहने
यह कहानी है नाबालिंग बहनों शिखा, राधा व किरण (काल्पनिक नाम) की। जिन्हें दस साल पहले उनकी मां पिता से विवाद होने के बाद आगरा से नोएडा आ गयी थी। जहां कुछ दिन रहने के बाद उन्हें छोड़कर कहीं चली गई। मकान मालिक ने तीनों बच्चों को लेकर थाना कुलेसरा पुलिस स्टेशन में शिकायत कर उन्हें जग शांति बालगृह सूरजपुर, नोएडा में रखवा दिया। यहां बच्चे रोज अपने परिजनों की आने की उम्मीद में सुबह से शाम तक कमरे के दरवाजे पर बैठे रहते, लेकिन हर बार की तरह निराशा ही हाथ लगती। वहीं परिजनों का पता न बता पाने से स्थानीय पुलिस ने भी कुछ दिन बाद हाथ खड़े कर दिए। इसी बीच जीआरपी अनुभाग आगरा की टीम ने इन बच्चों को खोज निकाला। लेकिन इनके झांसी में रहने वाले पिता अपना घर छोड़ चुके थे। इसके बाद आगरा जीआरपी ने स्थानीय पुलिस की मदद से दस दिन बाद आखिरकार बच्चियों के परिवार को खोज निकाला। जो आजकल जालौन में रह रहे थे।
मां की डॉट से नाराज होकर घर छोड़ा
12 साल का केशव मां की डॉट पर गुस्सा होकर घर छोड़कर चला गया। फिरोजाबाद में पुलिस ने उसको भटकता देख एक अनाथालय में दाखिल करा दिया। जहां पुलिस उसके बताए एत्मादपुर मोहल्ले की तलाश में जुटी थी। वहीं उसकी मां उसकी तलाश में एत्मादपुर से टूंडला आकर किराये के मकान मे रहने लगी और उसकी तलाश करते करते छह महीने गुजर गए। इसी दौरान केशव का केस ऑपरेशन मुस्कान टीम को मिला। उसने केशव की बुआ को खोज निकाला। जहां से उसकी मां का पता चला। जब पुलिस टीम ने केशव की फोटो उसकी मां को दिखाई तो वह जोर जोर से रोने लगी और बोली मुझे मेरे बेटे से अभी मिलवा दो। उस माँ की बेचेनी देखकर टीम सदस्य उसे बाल गृह फिरोजाबाद ले गए। जहां छह माह बाद मिला केशव अपनी मां से अपनी गलती की माफी मांग रहा था और मां उसे कलेजे से लगाकर माफी देरही थी।
रणनीति तैयार कर बच्चों को गया बचाया – एडीजी जीआरपी पीयूष आनंद