(www.arya-tv.com)कानपुर के बिकरु गांव में विकास दुबे की दहशत अभी भी खत्म नहीं हुई है। पहले विकास दुबे के खौफ के कारण लोग दिन में घर से नहीं निकलते थे, अब उसके एनकाउंटर के बाद सूरज ढलते के बाद लोग घर से निकलने से डर रहे हैं। इसका कारण भी वह अवैज्ञानिक ही बताते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गैंगस्टर के खंडहर हो चुके घर में उसके होने का एहसास होता है, जबकि गांव में तैनात चार पुलिसकर्मी, इनमें दो महिला सिपाही हैं, उनका कहना है कि ग्रामीणों की बातें अफवाह से ज्यादा कुछ नहीं है।
77 दिन पहले दो जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। इसके बाद महज 8 दिन के भीतर विकास दुबे और उसके पांच अन्य साथी पुलिस की गोली का शिकार हुए थे। इसके बाद से दहशत की कई कहानी सामने आईं। बिकरु गांव जिस थाना क्षेत्र में है, उस चौबेपुर थाने में भी पुलिस कर्मियों ने हवन-पूजन कराया था।
विकास हम लोगों से कुछ कहना चाहता है
350 घरों वाले बिकरु गांव में रहने वाले लोग अब विकास दुबे के काले कारनामे को लेकर खुलकर बात करते हैं। लेकिन रात में गांव में सन्नाटा छा जा जाता है। विकास दुबे ने एक कुत्ता पाल रखा था। वह अभी भी गांव में घूमता है। गांव वाले उसके खाने पीने का इंतजाम कर देते हैं। लेकिन, वह रात में विकास दुबे के घर के खंडहर के बीच जाकर रोने लगता है। लोग कहते हैं कि, रात के समय गांव में गोली चलने की आवाजें सुनाई देती हैं। यही वजह है कि सूरज ढलते ही गांव में वीरानी छा जाती है।
एक युवक ने कहा कि विकास दुबे को घर के खंडहर के बीच बैठकर मुस्कुराते हुए देखा है। ऐसा लगता है कि वह हम लोगों को कुछ बताना चाहता है। हमें लगता है कि वह अपनी मौत का बदला लेगा। एक बुजुर्ग ने कहा कि दुबे को उसके घर से बाहर निकलते हुए देखा है। वहीं, विकास दुबे के घर के आसपास रहने वालों का दावा है कि अक्सर रात में विकास दुबे के घर से कुछ लोगों के बीच चर्चा की आवाज सुनाई देती है। लेकिन, आवाज स्पष्ट नहीं होती।
पुलिसकर्मियों ने ग्रामीणों के दावों को खारिज किया
ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों का कहना है कि उन्होंने ऐसा कुछ कभी नहीं दिखा। ड्यूटी करने में भी कभी कोई समस्या नहीं आई। पुलिसकर्मियों ने ग्रामीणों के दावों को भी खारिज किया।
ग्रामीणों ने पुजारी से हवन-पूजन करने के लिए कहा
गांव के एक पुजारी ने कहा कि जब किसी की अप्राकृतिक मौत होती है तो आत्माएं भटकती हैं। विकास दुबे का न तो दाह संस्कार ठीक से हुआ और न ही मृत्यु के बाद तेरहवीं संस्कार ठीक से की गई है। ऐसा ही उसके पांच साथियों के साथ भी हुआ, जो मुठभेड़ में मारे गए। ग्रामीणों ने मुझसे परेशान आत्माओं की शांति के लिए पितृ पक्ष में पूजा करने के लिए कहा था। लेकिन, मैंने यह कहते हुए मना कर दिया कि बिना वजह पुलिस के रडार पर नहीं आना चाहता। एक ग्रामीण ने कहा कि नवरात्र में पूजा का आयोजन कर मुठभेड़ में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए हवन पूजन करेंगे।
चौबेपुर थाने में भी हुआ था हवन-पूजन
पिछले एक सितंबर को चौबेपुर थाने में हवन-पूजन कराया गया था। हवन-पूजन को लेकर पुलिस अफसरों ने कहा था कि क्षेत्र में क्राइम कंट्रोल रहे और शांति बनी रहे, इसलिए हवन कराया गया है, जबकि थाने से जुड़े सूत्रों ने पुलिस वालों में डर होने की बात कही थी। सूत्रों की मानें तो थाने में तैनात स्टाफ को भयमुक्त करने के लिए हवन-पूजन कराया गया था। बिकरु कांड के बाद थाने का पूरा स्टाफ सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद सभी नए स्टाफ को यहां तैनाती दी गई थी।
मनोवैज्ञानिक का तर्क- घटना लोगों के मन पर हावी
मनोवैज्ञानिक डॉ. अजय वर्मा ने कहा कि जब किसी घटना के बारे में ज्यादा चर्चा होती है या फिर लोग ज्यादा सोचने लगते हैं, तब ऐसे में लोगों का घटना सुनाई या दिखाई देने लगती है। इसे लोग भूत-प्रेत की संज्ञा देने लगते हैं। जबकि सही मायने में यह साइकोलॉजिकल इफेक्ट होता है और कुछ नहीं होता है।
क्या है कानपुर शूटआउट?
कानपुर के चौबेपुर थाना के बिकरु गांव में 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे और उसकी गैंग ने 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी। अगली सुबह से ही यूपी पुलिस विकास गैंग के सफाए में जुट गई। 9 जुलाई को उज्जैन के महाकाल मंदिर से सरेंडर के अंदाज में विकास की गिरफ्तारी हुई थी। 10 जुलाई की सुबह कानपुर से 17 किमी पहले पुलिस ने विकास को एनकाउंटर में मार गिराया था। इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी विकास दुबे समेत छह एनकाउंटर में मारे गए हैं।