(www.arya-tv.com)काशी, मथुरा हो या अध्योध्या। जब भी सीएम योगी यहां जाते हैं, वे खुद पूजा करते हैं। तब अर्चक यानी मंदिर के मुख्य पुजारी सहयोगी की भूमिका में नजर आते हैं। ऐसा हो भी क्यों न? योगी गोरक्षनाथ पीठ के पीठाधीश्वर जो हैं। वह खुद मंत्र पढ़कर पूजा करते हैं। नाथ संप्रदाय से आने वाले योगी आदित्यनाथ की कड़े फैसले लेने वाले सीएम की पहचान हैं। कम लोग जानते हैं, उन्हें ‘मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज’ कहलाना पसंद हैं।
खुद पूजन करते हैं। मुख्य पुजारी सहयोगी होते हैं
- काशी में सीएम योगी खुद पूजन करते हैं। मुख्य पुजारी सहयोगी होते हैं।
- वह खुद मंत्र बुदबुताते रहते हैं। पीछे से अर्चक मंत्रों को तेज आवाज में पढ़ते जाते हैं।
काशी विश्वनाथ धाम के अर्चक कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ को सभी मंत्र जुबानी याद हैं। आह्वान, आसन से लेकर आचमनीयम् के सभी मंत्र वह खुद ही पढ़ते हैं। वेद, पुराण कंठस्थ हैं। वह मंदिर की परंपरा के अनुसार दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। पूजा-पाठ अर्चक दल ही कराता है।
अर्चक वैदिक मंत्रोच्चारण पीछे से पढ़ते जाते हैं
- सीएम योगी श्रीकृष्ण का श्रृंगार करते हैं। आरती खुद ही करते हैं, पुजारी सहयोगी होते हैं।
- यहां भी अर्चक वैदिक मंत्रोच्चारण का पीछे से पढ़ते जाते हैं।
श्री कृष्ण जन्मस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि जब सीएम दर्शन करने आते हैं तो श्रद्धालुओं की तरह आते हैं। उनको पूजा-अर्चना कराई जाती है। बांके बिहारी मंदिर के सेवायत गोपी गोस्वामी बताते हैं कि सीएम योगी के आने पर मंदिर में जिसकी सेवा होती है। वह पूजा कराते हैं।
रामलला की खुद करते हैं आरती
- जब भी अयोध्या आते हैं रामलला के दर्शन-पूजन के लिए जरूर आते हैं।
- पुजारियों की मौजूदगी में खुद ही आरती गाते हैं।
- हनुमानगढ़ी जरूर जाते हैं। वहां भी विधि-विधान से पूजा करते हैं।
रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास के मुताबिक, पुजारियों की मौजूदगी में खुद ही मंत्रोच्चारण करते हुए पूजा करते हैं। यहां से हनुमान गढ़ी जाते हैं। सीएम योगी के एजेंडे में अयोध्या रही। मंदिर की नींव चुनाव से पहले ही रखवाई।