- मुख्यमंत्री ने बाढ़ राहत शरणालयों के आस-पास की झाड़ी की सफाई करने के साथ ही रात्रि में प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था रखने के निर्देश
- अधिकारियों को तटबंध की निरन्तर पेट्रोलिंग करने के साथ-साथ ही बांधों में कटान की स्थिति पर सतत निगरानी करने के निर्देश
- बाढ़ राहत शारणालयों में रह रहे किसी भी व्यक्ति में ज्वर, खांसी, सिरदर्द आदि के लक्षण प्रदर्शित होने पर उनको शेष शरणार्थियों से अलग रखा जाय
- कोविड-19 के दृष्टिगत आवश्यकतानुसार टेस्टिंग, भर्ती, उपचार आदि की कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश
- प्रदेश में वर्तमान में सभी तटबंध सुरक्षित, कहीं भी किसी प्रकार की चिंताजनक परिस्थिति नहीं
- बाढ़ प्रभावित जनपदों में सर्च एवं रेस्क्यू हेतु एन0डी0आर0एफ0 की 15 तथा एस0डी0आर0एफ0 एवं पी0ए0सी0 की 07 टीम मिलाकर कुल 22 टीमें तैनात
- प्रदेश में 331 बाढ़ शरणालय तथा 741 बाढ़ चैकी स्थापित
- बाढ़/अतिवृष्टि की आपदा से निपटने हेतु बचाव व राहत प्रबन्धन के सम्बन्ध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी
- बाढ़ पीड़ित परिवारों को खाद्यान्न किट में 17 प्रकार की सामग्री वितरित की जा रही
- प्रदेश में 317 पशु शिविर स्थापित तथा 6,59,868 पशुओं का किया गया टीकाकरण
- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अब तक कुल 2599 कुंतल भूसा वितरित किया गया
- वर्तमान में प्रदेश के 15 जनपदों के 788 गांव बाढ़ से प्रभावित
- शारदा नदी, पलिया कला (लखीमपुरखीरी), सरयू (घाघरा) नदी, तुर्तीपार (बलिया), सरयू (घाघरा) नदी एल्गिनब्रिज (बाराबंकी) तथा सरयू (घाघरा) नदी (अयोध्या) में अपने खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है
- आपदा से निपटने के लिए जनपद एवं राज्य स्तर पर आपदा नियंत्रण केन्द्र की स्थापना की गयी
- बाढ़ या अन्य आपदा के संबंध में कोई भी समस्या होने पर जनपदीय आपदा नियंत्रण केन्द्र या राज्य स्तरीय कंट्रोल हेल्प लाइन नं0-1070 पर फोन कर सम्पर्क करें
(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त संजय गोयल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में विषैले सर्प कीटों का प्रकोप काफी संख्या में रहता है जिनके काटने से काफी जनहानि व पशुहानि होती है उन्होंने बाढ़ राहत शरणालयों के आस-पास की झाड़ी की सफाई करने के साथ ही रात्रि में प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था रखने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने बाढ़ राहत शारणालयों में रह रहे किसी भी व्यक्ति में ज्वर, खांसी, सिरदर्द आदि के लक्षण प्रदर्शित होने पर उनको शेष शरणार्थियों से अलग रखा जाय तथा कोविड-19 के दृष्टिगत आवश्यकतानुसार टेस्टिंग, भर्ती, उपचार आदि की कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को तटबंध की निरन्तर पेट्रोलिंग करने के साथ-साथ ही बांधों में कटान की स्थिति पर सतत निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।
बाढ़ की स्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि प्रदेश में वर्तमान में सभी तटबंध सुरक्षित है। बाढ़ के संबंध में निरन्तर अनुश्रवण का कार्य किया जा रहा है। कहीं भी किसी प्रकार की चिंताजनक परिस्थिति नहीं है। प्रदेश के बाढ़ प्रभावित जनपदों में सर्च एवं रेस्क्यू हेतु एन0डी0आर0एफ0 की 15 टीमें तथा एस0डी0आर0एफ0 व पी0ए0सी0 की 07 टीमें इस प्रकार कुल 22 टीमें तैनाती की गयी है। 1046 नावें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगायी गयी है। बाढ़/अतिवृष्टि की आपदा से निपटने हेतु बचाव व राहत प्रबन्धन के सम्बन्ध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये जा चुके है।
बाढ़ पीड़ित परिवारों को खाद्यान्न किट का वितरण कराया जा रहा है। इस किट में 17 प्रकार की सामग्री जिसमें 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, 10 किलो आलू, 05 किलो लाई, 02 किलो भूना चना, 02 किलो अरहर की दाल, 500 ग्रा0 नमक, 250 ग्रा0 हल्दी, 250 ग्रा0 मिर्च, 250 ग्रा0 धनिया, 05 ली0 केरोसिन, 01 पैकेट मोमबत्ती, 01 पैकेट माचिस, 10 पैकेट बिस्कुट, 01 ली0 रिफाइन्ड तेल, 100 टेबलेट क्लोरीन एवं 02 नहाने के साबुन वितरित किये जा रहे है। उन्होंने बताया कि अब तक राहत सामग्री के अन्तर्गत 85,156 खाद्यान्न किट व 2,02,883 मी0 तिरपाल का वितरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि 267 मेडिकल टीम लगायी गयी है।
बाढ की आपदा से निपटने के लिए प्रदेश में 331 बाढ़ शरणालय तथा 741 बाढ़ चैकियां स्थापित की गयी है। वर्तमान में प्रदेश के 15 जनपद (अम्बेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, बस्ती, गोण्डा, गोरखपुर, कुशीनगर, लखीमपुरखीरी, मऊ, देवरिया, संतकबीरनगर, तथा सीतापुर) के 788 गांवों बाढ़ से प्रभावित है। शारदा नदी, पलिया कला (लखीमपुरखीरी), सरयू (घाघरा) नदी, तुर्तीपार (बलिया), सरयू (घाघरा) नदी एल्गिनब्रिज (बाराबंकी) तथा सरयू (घाघरा) नदी (अयोध्या) में अपने खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है। प्रदेश में 317 पशु शिविर स्थापित किये गये है तथा 6,59,868 पशुओं का टीकाकरण भी किया गया हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अब तक कुल 2599 कुुंतल भूसा वितरित किया गया है। आपदा से निपटने के लिए जनपद एवं राज्य स्तर पर आपदा नियंत्रण केन्द्र की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि किसी को भी बाढ़ या अन्य आपदा के संबंध में कोई भी समस्या होती है तो वह जनपदीय आपदा नियंत्रण केन्द्र या राज्य स्तरीय कंट्रोल हेल्प लाइन नं0-1070 पर फोन कर सम्पर्क कर सकता है।