(www.arya-tv.com) क्लाइमेट चेंज की वजह से पृथ्वी पर आने वाली भयानक प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ती जा रही हैं। यह दावा संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में किया है। रिसर्चर्स की मानें तो अगर मौजूदा ट्रेंड चलता रहा तो जल्द ही 2030 तक हर साल दुनिया को लगभग 560 आपदाओं का भी सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल पूरी दुनिया 2015 से हर साल 400 आपदाओं को झेल रही है।
यूनाइटेड नेशंस ऑफिस फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (UNDRR) की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1970 से 2000 के बीच आपदाओं की सालाना संख्या 90-100 थी। ये मध्यम से बड़े स्तर की आपदाओं का आंकड़ा है।
2030 तक दुनिया लू और सूखे की मार झेलेगी
रिपोर्ट के अनुसार, 2001 के मुकाबले 2030 में गर्म हवाएं (लू) 3 गुना तक बढ़ जाएंगी। इसके साथ ही सूखा पड़ने के मामलों में 30% बढ़त का अनुमान भी लगाया गया है। बता दें कि भारत में इस साल बढ़ते तापमान ने मार्च महीने में ही गर्मी का 121 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था।
शोध में शामिल रिसर्चर्स का कहना है कि क्लाइमेट चेंज के कारण केवल प्राकृतिक आपदाएं ही नहीं, बल्कि कोरोना महामारी, आर्थिक संकट और खाने की कमी भी बढ़ती जा रही है। न जाने कितनी ऐसी आपदाओं के पीछे क्लाइमेट चेंज का हाथ रहा, लेकिन इंसानों को इस बात का पता ही नहीं चला।
UNDRR की प्रमुख मामी मिजुटोरी के मुताबिक, लोगों को इस बात का अंदाजा ही नहीं है कि उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं के चलते कितना नुकसान झेला है। मिजुटोरी कहती हैं, “अगर हमने आज एक्शन नहीं लिया तो इस नुकसान की भरपाई कर पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। यह एक दुष्चक्र है।”
गरीब देशों की हालत और खराब होगी
रिसर्च में शामिल हार्वर्ड ह्यूमैनिटेरियन इनिशिएटिव के मार्कस इनेकनेल का कहना है कि भविष्य में आने वाली भयानक आपदाओं का सबसे ज्यादा असर गरीब देशों में रह रहे लोगों पर होगा। आपदाओं से रिकवर होने के लिए जितने पैसे की जरूरत होगी, ये देश उतना जुटा ही नहीं सकेंगे। इससे इकोनॉमी पर भार आ जाएगा।
यूएस नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के वैज्ञानिक रोजर पुलवर्टी कहते हैं कि बीमारियों के चलते इम्यून सिस्टम का कमजोर होना, जंगल की आग के साथ गर्म हवाएं चलना और यूक्रेन में जंग के कारण खाने और ईंधन की कमी होना भी आपदाएं ही हैं। इनकी वजह से कई देश बर्बादी की कगार पर आ सकते हैं।