दवाओं के साइड इफेक्ट कम करने की राह खोलेगा लखनऊ विश्वविद्यालय का शोध, जानें पूरी details

# ## Health /Sanitation

एलोपैथिक दवाओं के साइड इफेक्ट कम करने के क्षेत्र में लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग ने नया शोध किया है। डॉ. प्रगति कुशवाहा के नेतृत्व में यह शोध दर्शाता है कि इमिडाज़ोल आधारित यौगिक नई और असरदार दवाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इनके उपयोग से भविष्य में ऐसी दवाएं तैयार की जा सकती हैं, जिनके साइड इफेक्ट न्यूनतम या नगण्य होंगे।

शोध केमेस्ट्री सेलेक्ट अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ। इमिडाज़ोल एक छोटी रासायनिक रिंग है, जिसमें दो नाइट्रोजन परमाणु होते हैं। इसकी संरचना इसे शरीर के प्रोटीन, एंजाइम और धातु आयनों से जुड़ने में सक्षम बनाती है, जिससे यह रोग प्रतिरोधक क्षमता, एंजाइम क्रियाशीलता और तंत्रिका संदेश संचार में योगदान देती है।

डॉ. कुशवाहा बताती हैं कि इमिडाज़ोल समुद्री जीवों—स्पंज, कोरल और ट्यूनिकेट्स में भी पाया जाता है। इनमें कैंसर, संक्रमण, फंगल और सूजन से लड़ने वाले गुण मौजूद हैं। जैसे एजेलाडिन ए, फेकलिन्स और ग्रोसुलरीन समुद्री यौगिकों ने कैंसर और बैक्टीरिया के खिलाफ असर दिखाया। ये यौगिक अब प्रयोगशाला में भी तैयार किए जा रहे हैं।

पहले से मौजूद इमिडाज़ोल आधारित दवाओं में मिडाज़ोलम (सर्जरी में नींद), फ्लुमाज़ेनिल (ओवरडोज में), एनाग्रेलाइड (प्लेटलेट नियंत्रण), एपिनास्टिन (एलर्जी) और ब्रेतेज़ेनिल (चिंता कम करने में) शामिल हैं।

शोध टीम अब इन यौगिकों की नई और जटिल संरचनाओं पर काम कर रही है, जिससे भविष्य में कैंसर, अल्ज़ाइमर, टीबी और तंत्रिका रोगों की नई दवाएं विकसित की जा सकें। पर्यावरण अनुकूल और धातु मुक्त तकनीकों का प्रयोग समय और ऊर्जा बचाने के साथ प्रदूषण को भी कम करता है।

इमिडाज़ोल आधारित यौगिक प्राकृतिक और कृत्रिम रसायन के बीच पुल का काम करते हुए दवा निर्माण में नई दिशा और उम्मीद दे रहे हैं।