अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप की उलटी गिनती शुरू हो गई है। आज से ठीक 13 दिन बाद 16 टीमों के बीच युवा विश्व विजेता बनने की जंग शुरू होगी। 24 दिन और 48 मुकाबलों के बाद चैंपियन का फैसला होगा। रिकॉर्ड चार बार का चैंपियन और एक बार का उपविजेता भारत अपना खिताब कायम रखने की पूरी कोशिश करेगा। कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अंडर-19 विश्व कप न सिर्फ खेला बल्कि जीता भी पर सीनियर टीम में जगह नहीं बना पाए। जूनियर विश्व कप के 32 साल के इतिहास में 12 में से सिर्फ पांच कप्तान ही भारतीय टीम में जगह बना सके। जबकि सात कप्तानों को सीनियर टीम की नीली जर्सी पहनने का सौभाग्य नहीं मिला।
टीम इंडिया की जर्सी पहनना हर क्रिकेटर का सपना होता है। कुछ की मेहनत रंग लाती है तो कुछ की किस्मत पास आकर भी रूठ जाती है। जूनियर और घरेलू क्रिकेट में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद उनका यह ख्वाब पूरा नहीं हो पाता। इनमें से एक दिल्ली के उन्मुक्त चंद की कप्तानी में तो अंडर-19 टीम चैंपियन भी बनी। उन्हें भविष्य का स्टार बताया जा रहा था पर वह भारतीय टीम में जगह नहीं बना पाए। इसी तरह रविकांत शुक्ला, अशोक मनेरिया, विजय जोल, इशान किशन, एस सेंथिलनाथन और अमित पगनिस भी खोकर रह गए।
कोहली का अनोखा रिकॉर्ड: विराट कोहली एकमात्र कप्तान हैं जिन्होंने जूनियर टीम के बाद सीनियर टीम की भी कमान संभाली। विराट की अगुआई में अंडर-19 टीम 2008 में चैंपियन बनी थी। उस टीम में रविंद्र जडेजा, मनीष पांडे और सौरभ तिवारी भी थे।
सेंथिलनाथन थे पहले कप्तान: भारत ने पहली बार तमिलनाडु के एम सेंथिलनाथन की कप्तानी में 1988 में चुनौती पेश की थी। टीम पहले ही संस्करण में छठे स्थान पर रही थी। दाएं हाथ के बल्लेबाज सेंथिलनाथन ने प्रथम श्रेणी के 37 मैचों में 31.66 की औसत से 1615 रन बनाए हैं। इस विश्व कप में भारत की ओर से नयन मोंगिया ने सात मैचों में 19.28 की औसत से 135 रन बनाए थे। वहीं नरेंद्र हिरवानी ने इतने ही मैचों में 21.30 की औसत से दस विकेट लिए थे। मोंगिया, हिरवानी के साथ ही प्रवीण आमरे और वेंकटेशपति राजू भी थे जो बाद में सीनियर टीम से भी खेले।
पगनिस भी नहीं कर पाए कमाल: करीब 10 साल बाद 1998 में हुए दूसरे विश्व कप में अंडर-19 टीम की कमान मुंबई के अमित पगनिस के हाथ में थी और टीम दूसरे दौर तक पहुंची। पगनिस ने छह मैचों में 29.16 की औसत से 175 रन बनाए थे। अमित भंडारी ने 11 विकेट, हरभजन सिंह ने आठ और वीरेंद्र सहवाग ने सात विकेट लिए थे। इन्हें तो सीनियर टीम की नीली जर्सी पहनने का गौरव मिला पर पगनिस की किमस्म रूठी रही।
रविकांत रहे नाकाम: उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रविकांत शुक्ला को 2006 में अंडर-19 विश्व कप टीम की कप्तानी का मौका तो मिला पर सीनियर भारतीय टीम में खेलने का सपना पूरा नहीं हो पाया। रविकांत की टीम फाइनल में पाक से हारकर खिताब से चूक गई। कप्तान ने छह मैचों में 53 रन बनाए। चेतेश्वर पुजारा 116.33 की औसत से 349 रन बनाकर मैन ऑफ द सीरीज रहे थे। रोहित शर्मा ने 41.00 की औसत से 205 बनाए थे। पीयूष चावला ने 12.15 की औसत से 13 विकेट लिए थे।
मनेरिया भी हो गए घूम: राजस्थान के उदयपुर के अशोक मनेरिया की टीम 2010 में छठे स्थान पर रही थी। मनेरिया भी टीम इंडिया से कोई मैच खेलने में नाकाम रहे। मयंक अग्रवाल ने 27.83 की औसत से टीम की ओर से सर्वाधिक 167 रन और लोकेश राहुल ने 28.60 की औसत से 143 रन बनाए। मनेरिया ने प्रथम श्रेणी में 41.76 की औसत से 2088 रन बनाए हैं। जयदेव उनादकट और संदीप शर्मा ने सात-सात विकेट झटके थे।
उन्मुक्त से भी रूठी रही किस्मत: उन्मुक्त ने अपनी कप्तानी में 2012 में अंडर-19 टीम को चैंपियन बनाकर सुर्खियां बटोरीं। उनका बल्ला भी खूब बोला। उन्होंने 49.20 की औसत से टीम की ओर से सर्वाधिक 246 रन बनाए। इसमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में नाबाद 111 रन की पारी भी शामिल थी। इसके बाद वह अपने खेल में एकाग्रता नहीं रख पाए और टीम इंडिया में खेलने की हसरत अधूरी ही रह गई। सुमित पटेल ने 178, प्रशांत चोपड़ा ने 172 और बाबा अपराजिता ने 171 और विजय जोल ने 151 रन बनाए थे। रविकांत और संदीप शर्मा ने 12-12 विकेट चटकाए थे।
विजय को भी मिली निराशा: महाराष्ट्र के बाएं हाथ के बल्लेबाज विजय जोल को 2014 में अंडर-19 टीम की कप्तानी का गौरव तो मिला पर सीनियर टीम में खेलने मौका नहीं। संजू सैमसन ने 44.50 की औसत से 367 रन बनाए जिससे भारतीय टीम पांचवें स्थान पर रही थी। दीपक हुड्डा ने 235,सरफराज खान ने 211 और अंकुश बैंस ने 195 रन बनाए थे। कुलदीप यादव ने 14 और दीपक ने 11 विकेट चटकाए थे।
इशान कर रहे हैं इंतजार: धोनी के राज्य झारखंड से खेलने वाले पटना के विकेटकीपर बल्लेबाज इशान किशन 2016 में टीम को फाइनल तक तो ले गए पर चैंपियन नहीं बना पाए। टीम के दूसरे विकेटकीपर बल्लेबाज और उनके साथी ऋषभ पंत ने तो इस टूर्नामेंट के बाद टीम इंडिया की जर्सी पहन ली पर इशान अब तक इंतजार में हैं। पंत ने एक शतक की मदद से 267 रन बनाए थे। वहीं भारत की ओर से 71.00 की औसत से सर्वाधिक 355 रन बनाने वाले सरफराज खान भी टीम इंडिया की बाट जो रहे हैं। अवेश खान ने 12 और मयंक डागर ने 11 विकेट लिए थे।
