- प्रशिक्षित 32 बाल रोग विशेषज्ञों (एस0एन0सी0यू0 मेंटर्स) अपने साथी डॉक्टर्स को देंगे ट्रेनिंग ।
प्रदेश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक फंक्शनल सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट उपलब्ध।
(www.arya-tv.com) नवजात शिशुओं की रोकी जा सकने वाली मौतों को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन0एच0एम0), यूनिसेफ और विशेषज्ञ चिकित्सकों के सहयोग से नवजात शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता सुधार हेतु सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट मेंटर्स का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला दिनांक 8-9 जुलाई 2025 को आयोजित की गई।
कार्यशाला में 32 बाल रोग विशेषज्ञों (एस0एन0सी0यू0 मेंटर्स) को प्रशिक्षित किया गया, जो अब अपने साथी डॉक्टर्स को प्रशिक्षित करेंगे और एस0एन0सी0यू0 में गुणवत्ता सुधार को बढ़ावा देंगे। कार्यशाला के सत्रों का संचालनः डॉ. सुगंधा आर्या (सफदरजंग हॉस्पिटल, नई दिल्ली), डॉ. श्रीनिवास मुरकी (अंकुरा हॉस्पिटल, हैदराबाद), डॉ. अशिमा (मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उ0प्र0, महानिदेशालय परिवार कल्याण उ0प्र0 और यूनिसेफ के अधिकारियों द्वारा किया गया।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए महानिदेशक- परिवार कल्याण डा0 दिनेश कुमार ने कहा कि मेन्टरिंग न केवल क्लिनिकल प्रैक्टिस को मजबूत करती है, बल्कि जवाबदेही और स्थिरता को भी बढ़ावा देती है एवं डॉक्युमेंटेशन और फॉलो-अप पर विशेष ध्यान दिया जाता है। उच्च गुणवत्ता वाली नवजात देखभाल से नवजात मृत्यु दर में भारी कमी लाई जा सकती है, लेकिन इसके लिए नवीनतम चिकित्सा मानकों के अनुरूप ज्ञान, कौशल और निरंतर प्रोफेशनल विकास आवश्यक है।
डा मिलिंद वर्धन, महाप्रबंधक, बाल स्वास्थ्य, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उ0प्र0 ने कहा कि राज्य में सुविधा-आधारित नवजात देखभाल (एफ0बी0एन0सी0) को सभी जिलों में लागू किया गया है। आज प्रत्येक जिले में कम से कम एक फंक्शनल सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एस0एन0सी0यू0) उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 119 कार्यशील एस0एन0सी0यू0 हैं, जो नवजात स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आज के प्रशिक्षण से मेंटर्स न केवल सहकर्मियों से ज्ञान साझा करेंगे, बल्कि नवजात स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए एक मजबूत प्रणाली का निर्माण करेंगे।
एस0आर0एस0 रिपोर्ट के अनुसार पिछले 15 वर्षों में राज्य की नवजात मृत्यु दर (एन0एम0आर0) में उल्लेखनीय कमी आई है। नवजात मृत्यु दर वर्ष 2005 में जहां 45 प्रति हजार थी वहीं वर्ष 2022 में यह घटकर 27 प्रति 1000 जीवित जन्म हो गई है। इस प्रगति को आगे बढ़ाते हुए, एस0एन0सी0यू0 मेंटर्स के लिए एक संरचित मेंटरिंग प्रोग्राम शुरू किया गया है, जिससे नवजात स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके।
सरकार ने सतत विकास लक्ष्यों (एस0डी0जी0) को प्राप्त करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, जिसके तहत 2030 तक नवजात मृत्यु दर (एन0एम0आर0) को प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 12 से कम करने का लक्ष्य रखा गया है साथ ही, भारतीय नवजात कार्य योजना (आई0एन0एपी0) के अनुरूप 2030 तक एन0एम0आर0 और स्टिलबर्थ दर को एकल अंक (सिंगल डिजिट) में लाने का संकल्प लिया गया है।