ओलिंपिक इवेंट- स्प्रिंट:मेडल्स में अमेरिका के आसपास कोई नहीं, रिकॉर्ड में उसैन बोल्ट सबसे आगे

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(www.arya-tv.com)स्प्रिंट यानी फास्ट रनिंग में अमेरिका शुरुआत से अपनी बादशाहत कायम किए हुए है। मेडल्स जीतने के मामले में उसके आसपास भी कोई नहीं है। यदि पर्सनल रिकॉर्ड की बात करें तो जमैका के उसैन बोल्ट का कोई तोड़ नहीं है। संन्यास ले चुके इस धावक ने 3 ओलिंपिक में सबसे ज्यादा 8 गोल्ड जीते हैं। ओलिंपिक में भारत की किस्मत अच्छी नहीं रही है। अब तक कोई भी भारतीय स्प्रिंट में मेडल नहीं जीत सका है।

इस साल टोक्यो ओलिंपिक 23 जुलाई से 8 अगस्त तक होना है। इसमें महिलाओं में दुती चंद और पुरुषों में एमपी जाबिर ने क्वालिफाई किया है। दुती से 100 और 200 मीटर रेस में मेडल की उम्मीद है। जबकि जाबिर 400 मीटर हर्डल्स में किस्मत आजमाएंगे।

इनके अलावा पुरुषों की टीम इवेंट 4×400 रिले रेस में मोहम्मद अनस याहिया, एन निर्मल टॉम, अमोज जैकब और अरोकिया राजीव ने क्वालिफाई किया है। जबकि मिक्स्ड इवेंट 4×400 रिले रेस में मोहम्मद अनस याहिया, जिस्ना मैथ्यू, एन निर्मल टॉम और विस्माया ने क्वालिफाई किया है।

भारत के लिए ब्रिटिश मूल के पिचार्ड 2 सिल्वर जीत चुके
स्प्रिंट शुरुआत (1896) से ही ओलिंपिक में शामिल रहा है। वैसे तो 1900 के पेरिस ओलिंपिक में ब्रिटिश शासन वाले भारत की ओर से पहली बार नार्मन पिचार्ड गेम्स में शामिल हुए थे। उन्होंने 200 मीटर रेस और 200 मी. हर्डल्स रेस (बाधा दौड़) में दो सिल्वर मेडल जीते थे। कई इतिहासकार इस मेडल को भारत के खाते में नहीं गिनते, क्योंकि पिचार्ड ब्रिटिश मूल के थे। जबकि इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी इसे भारत के खाते में गिनती है।

मिल्खा सिंह और पीटी ऊषा चौथे नंबर पर रहे
1920 में भारत ने अपनी आधिकारिक टीम ओलिंपिक में भेजी थी। देश को पहला गोल्ड 1928 में पुरुष हॉकी टीम ने दिलाया था। स्प्रिंट में भारत के मिल्खा सिंह सबसे पहले लाइमलाइट में आए थे।

मिल्खा सिंह ग्लोबल मेडल जीतने वाले पहले भारतीय थे। फ्लाइंग सिख नाम से पहचाने जाने वाले मिल्खा सिंह ने 1958 एशियन गेम्स के 200 और 400 मीटर में रेस जीती थी। वे कॉमनवेल्थ गेम्स में चैंपियन रहने वाले पहले भारतीय भी बने थे। हालांकि, मिल्खा सिंह 1960 के रोम में हुए ओलिंपिक में चौथे नंबर पर रहे थे।