(www.arya-tv.com) टाइटैनिक जहाज के मलबे को देखने के लिए लोगों को ले जाने वाली टाइटन पनडुब्बी रविवार दोपहर से लापता है। BBC के मुताबिक, पनडुब्बी में अब 30 घंटे से भी कम समय के लिए ऑक्सीजन बची है। US कोस्ट गार्ड ने बताया कि गुरुवार सुबह तक सबमरीन में ऑक्सीजन खत्म होने की आशंका है।
कनाडा की तरफ से सर्च ऑपरेशन में शामिल एक एयरक्राफ्ट को सोनार-बॉय की मदद से कुछ आवाजें सुनाई दी हैं। CNN के मुताबिक, ये उसी जगह के पास से रिकॉर्ड की गईं जहां टाइटैनिक का मलबा मौजूद है। आवाजें करीब 30 मिनट के इंटरवल पर रिकॉर्ड हुईं। फिर 4 घंटे बाद सोनार ने दोबारा इन्हें डिटेक्ट किया।
भारत में चीते लाने वाले ब्रिटिश अरबपति भी पनडुब्बी में मौजूद
पनडुब्बी को ढूंढने के लिए अंडरवाटर रोबोट सहित अमेरिका और कनाडा के 3 C-130 हरक्यूलस एयरक्राफ्ट भेजे गए हैं। इसके अलावा एक P-8 एयरक्राफ्ट और 2 कनाडाई सर्फेस शिप्स भी सर्च ऑपरेशन में शामिल हैं। इस पनडुब्बी में ब्रिटेन के अरबपति हैमिश हार्डिंग मौजूद हैं, जिन्होंने भारत में चीता लाने में सहयोग किया था।
इसके अलावा पनडुब्बी में फ्रांस के डाइवर पॉल-हेनरी, पाकिस्तानी-ब्रिटिश कारोबारी शहजादा दाऊद, उनका बेटा सुलेमान और ओशनगेट कंपनी के CEO स्टॉकटॉन रश मौजूद हैं। ओशनगेट कंपनी ही इस टाइटन सबमरीन की मालिक है।दरअसल, रविवार को एक टूरिस्ट पनडुब्बी ‘टाइटन’ अटलांटिक महासागर में लापता हो गई थी। इसमें एक पायलट और 4 पैसेंजर्स सवार थे। द गार्जियन के मुताबिक, 18 जून की दोपहर को सबमरीन पानी में उतरने के 1.45 घंटे बाद रडार से गायब हो गई थी। इसमें सिर्फ 96 घंटे का लाइफ सपोर्ट ही रहता है। इस बात की जानकारी भी नहीं मिली है कि सबमरीन अभी भी पानी में ही है या सतह पर आ चुकी है।
टाइटैनिक जहाज का मलबा अटलांटिक ओशन में मौजूद है। ये कनाडा के न्यूफाउंडलैंड के सेंट जोन्स से 700 किलोमीटर दूर है। मलबा महासागर में 3800 मीटर की गहराई में है। पनडुब्बी का ये सफर भी कनाडा के न्यूफाउंडलैंड से ही शुरू होता है। ये 2 घंटे में मलबे के पास पहुंच जाती है।
अमेरिका-कनाडा की रेस्क्यू टीम समुद्र में 7,600 स्क्वायर मील के एरिया में सर्चिंग कर चुकी हैं। मंगलवार को बताया गया था कि केप कॉड से करीब 900 मील (1,450 किमी) पूर्व में पनडुब्बी की तलाश चल रही है। इसके अलावा पानी में सोनार-बॉय भी छोड़े गए हैं, जो 13 हजार फीट की गहराई तक मॉनिटर कर सकते हैं। इसके अलावा कमर्शियल जहाजों की भी मदद ली जा रही है।