(www.arya-tv.com)राजधानी लखनऊ के विभूतिखंड में राम मनोहर लोहिया अस्पताल के गेट पर सीतापुर के रहने वाले 34 साल के प्रवीण सिंह की मंगलवार की शाम हत्या कर दी गई थी। हत्या किसी बदमाश ने नहीं बल्कि बदायूं निवासी सिपाही आशीष ने की थी। सिपाही की तैनाती सीतापुर में है। मृतक लोहिया अस्पताल में भर्ती एक कैदी का बेटा था। कैदी की सुरक्षा में सिपाही आशीष तैनात था। लेकिन अब पूरा महकमा अपने सिपाही को बचाने में जुट गया है।
मनबढ़ सिपाही ने खाकी के रौब में लोहिया अस्पताल के गेट पर दिनदहाड़े वारदात को अंजाम दिया। सिपाही को इतनी बड़ी वारदात करने के बाद भी खाकी पर इतना भरोसा था कि वारदात करने के बाद तत्काल संबंधित थाने विभूतिखंड पहुंच गया। बावर्दी कत्ल करके आए सिपाही से पूछताछ से पहले थाने में उसकी वर्दी उतरवाकर दूसरे कपड़े पहनाए गए। इसके बाद अफसरों के सामने पेश करके औपचारिक पूछताछ हुई। लेकिन लखनऊ पुलिस इसे हत्या नही बल्कि मानसिक अवसाद में उठाया गया कदम मान रही है।
साढ़े तीन साल पहले गोमतीनगर थाने के एक सिपाही ने इसी तरह एक नामी मोबाइल कम्पनी के एरिया मैनेजर की गोली मारकर हत्या की तो अधिकारी उसे आकस्मिक घटना बताकर बचाने में जुट गए थे। हालांकि अफसरों का सारा हथकंडा फेल हुआ और सिपाही के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करनी पड़ी थी।
मामले को दबाने में नाकाम अफसरों ने गाल पर लगाई चपत
पुलिस सूत्रों के मुताबिक हत्यारोपी सिपाही आशीष वारदात के बाद थाने पहुंचा तो उसे भागने की बजाय खाकी पर भरोसा जताने के लिए शाबाशी दी गयी। इसके बाद उसे अफसरों के सामने पेश किया गया। अधिकारियों ने बड़ी मासूमियत से उसकी गाल पर चपत लगाकर कहा कि क्या कर डाला बच्चे? इन अधिकारियों ने कहा कि मामला दिनदहाड़े का न होता तो दबाया जा सकता था।
लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर बोले- पागल है
सिपाही की गोली के शिकार प्रवीण की लाश पोस्टमार्टम हाउस भी नहीं पहुंची थी कि पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने हत्यारोपी सिपाही आशीष को पागल करार दे दिया। सिपाही आशीष ने किस वजह से प्रवीण को गोली मारी कमिश्नर ने इसका खुलासा करने की बजाय कहा कि सिपाही मानसिक विक्षिप्त लग रहा है। जबकि न तो सीतापुर पुलिस की तरफ से कमिश्नर को ऐसी कोई जानकारी दी गयी थी न उसका कोई मेंटल सर्टिफिकेट उनके पास था।
विक्षिप्त सिपाही से ड्यूटी क्यों ले रहा था विभाग?
लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के बयान से एक तरफ जहां उनकी मंशा पर सवाल उठ रहा, वहीं सीतापुर पुलिस भी कटघरे में खड़ी हो रही। कमिश्नर ने फौरी नजर में जिस हत्यारोपी सिपाही के पागलपन को पहचान लिया, सीतापुर पुलिस उसे क्यों नहीं भाप पाई? आशीष अगर विक्षिप्त था तो उसकी भर्ती प्रक्रिया में शामिल अफसरों से लेकर अभी तक उससे ऐसी महत्वपूर्ण ड्यूटी करवाने वाले हर अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
साढ़े तीन साल पहले भी हत्यारे सिपाही को बचाने का हुआ था प्रयास
29 सितंबर 2018 की रात करीब एक बजे। गोमतीनगर विस्तार में महिला मित्र के साथ अपनी कार से घूम रहे नामी मोबाइल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की गोमतीनगर थाने के सिपाही प्रशांत चौधरी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। वजह महज चंद रुपयों की वसूली और विवेक की महिला मित्र पर प्रशांत की बुरी नजर थी। दोनों से बचने के लिए विवेक ने जैसे ही गाड़ी आगे बढ़ाने का प्रयास किया प्रशांत ने अपनी सर्विस पिस्टल से उन्हें गोली मार दी।
लखनऊ पुलिस ने करीब एक महीने तक प्रशांत को बचाने के लिए इसी तरह की दलीलें दी। उसे मेंटल बताया गया। इस पर भी बात नहीं बनी तो प्रशांत की सिपाही पत्नी जो पति के साथ गोमतीनगर थाने में ही तैनात थी उससे मृतक विवेक के खिलाफ ही तहरीर दिलवा दी गयी। तमाम कोशिशों के बाद वारदात में शामिल प्रशांत के हमराही सिपाही संदीप को अधिकारियों ने बचा लिया लेकिन प्रशांत के खिलाफ हत्या के आरोप में चार्जशीट दाखिल करनी ही पड़ी थी।