इस बार के चुनाव में युवा मत निर्णायक होगा : डॉ. जितेंद्र यादव

Lucknow

(www.arya-tv.com)अब लोकसभा चुनाव अपने अंतिम चरण की तरफ बढ़ चुका है। शुरुआत भाजपा ने हिन्दुत्व और राम मंदिर को केंद्र बिन्दु बनाकर चुनाव लड़ा था। लेकिन इसका अंदाजा भाजपा को भी नहीं था कि चुनाव का मुद्दा बेरोजगारी और महंगाई जैसे बुनियादी जरूरत पर टीक जाएगा। भाजपा की कोशिश थी कि चुनाव हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद के इर्द -गिर्द ही रहे, किन्तु युवाओं का आक्रोश बेरोजगारी और महंगाई जैसे अहम मुद्दे पर केन्द्रित दिखाई दे रहा है। और इसका नुकसान भी भाजपा को उठाना पड़ सकता है। जो राजनीतिक विश्लेषक भी भाजपा को एक तरफा जीत दिला रहे थे। अब वह भी कुछ स्पष्ट कहने से कतरा रहे हैं। बस उनका यही कहना है कि हर सीट पर कांटे की टक्कर है।

किसी को अंदाजा नहीं था कि जो मुद्दा 2014 के चुनाव का था। 2024 का चुनाव भी घूमकर वही पर लौट आयेगा। उत्तर प्रदेश में पेपर लीक का मुद्दा युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है। एक परीक्षा के लिए युवाओं को ढेर सारी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। परीक्षा का फॉर्म भरने से लेकर उसके लिए तैयारी तक उनको ढेर सारा पैसा खर्च करना पड़ता है लेकिन बाद में पता चलता है कि पेपर लीक हो चुका है। युवाओं के इस मानसिक पीड़ा को सत्ता पक्ष नजर अंदाज करके ऐतिहासिक भूल कर रहा है। उत्तर प्रदेश का शिक्षित और योग्य युवा बेरोजगारी का तमगा लेकर घूम रहा है। इस साल यूपी में भी नौकरी के मामले में बिहार का चर्चा ज्यादा रहा। क्योंकि सत्रह माह के अंदर जिस तरह से तेजस्वी यादव ने चार लाख से ज्यादा नौकरी देकर एक रिकॉर्ड कायम किया है। वह मॉडल युवाओं को काफी प्रभावित कर रहा है। अब यूपी के युवा बिहार में नौकरी पा रहे हैं। उनका कहना है कि यूपी में सिर्फ राम मंदिर और बाबा के बुलडोजर का शोर सुनाई देता है। इस गंभीर मुद्दे को भाँपते हुये इंडिया गठबंधन ने 30 लाख सरकारी नौकरियों का वादा, सेना के लिए अग्निवीर जैसी योजना को समाप्त करने की घोषणा युवाओं को सत्ता परिवर्तन के लिए प्रेरित कर रहा है।

राष्ट्रवाद और मंदिर जैसे भावनात्मक विषय के बजाय इस बार का चुनाव स्थानीय विकास, बेरोजगारी,महंगाई के मुद्दे की ओर बहुत तेजी से बदला है। इधर के दिनों में युवाओं के बीच भाजपा के प्रति मोहभंग काफी तेजी से हुआ है। मोदी जी का राष्ट्रीय राजनीति में उदय बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर हुआ था। उन्होंने 2014 के चुनाव में युवाओं को रोजगार और महंगाई से निजात दिलाने के लिए वादा किया था। इसलिए उन्हें युवाओं का जबर्दस्त समर्थन भी मिला था। लेकिन वह युवाओं को रोजगार देने में विफल रहे। इसलिए इंडिया गठबंधन का 30 लाख के नौकरी का वादा उनके लिए भविष्य का एक उम्मीद बनकर उभरा है। अखिलेश यादव अपने सभी चुनावी सभा में अग्नि वीर योजना को समाप्त करने का वादा कर रहे हैं। इसलिए सभी जाति -धर्म के युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ी है। किसान परिवार के युवाओं में सेना की नौकरी का एक विशेष आकर्षण होता था। सेना की नौकरी से परिवार अपने को गौरवान्वित महसूस करता था। परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधर जाती थी। इसलिए अब अग्निवीर योजना भाजपा के लिए घातक सिद्ध होने जा रही है। जनमानस में एक धारणा बन गई है कि भाजपा धर्म और राष्ट्रवाद के भावनात्मक मुद्दे पर चुनाव लड़ती है। जो वादा करती है उस पर अमल नहीं करती है। सरकार के एक दशक के बाद भी भाजपा के सांसद विकास के बजाय मोदी जी का नाम लेकर वोट मांग रहे हैं। भाजपा ने पूरा प्रयास किया कि चुनाव हिन्दू -मुसलमान, पाकिस्तान, मंदिर और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लड़ा जाए जैसा कि 2019 का चुनाव लड़ा गया था। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। चुनाव नतीजे भले 4 जून को आएंगे लेकिन युवाओं के आक्रोश को देखकर सत्ता परिवर्तन की आहट साफ सुनाई दे रही है।

डॉ. जितेंद्र यादव
असिस्टेंट प्रोफेसर
सकलडीहा पी.जी. कॉलेज