(www.arya-tv.com) बिस्तर पर 12 साल मरीजों की जिंदगी और फिर विदेशी धरती पर तिरंगे को ऊँचा होते देखना. ये कोई वेब सीरीज का क्लाइमैक्स नहीं है! बल्कि गाजियाबाद के प्रदीप कुमार का जीवन है. जी, हां मुरादनगर के सुठारी गांव में रहने वाले प्रदीप कुमार ने एशियाई पैरा गेम्स में सिल्वर मेडल हासिल किया. चीन के हांगझोऊ में आयोजित एशियन पैरा गेम्स केF-54 कैटेगरी में भाला फेंकते हुए मेडल हासिल किया है. जिंदगी की तमाम चुनौतियों और अड़चनों से लड़ने के बाद प्रदीप ने यह मुकाम हासिल किया है.
अक्सर लोग एक से दो बार असफलता लगने के बाद ही निराश हो जाते हैं. लेकिन जूनूनी ऐसे भी होते हैं कि प्रत्येक असफलता से वे सीखते हैं और अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए नई राह बनाते हैं. प्रदीप ने बताया कि 12 अप्रैल 2003 का वो दिन था जब ये हादसा हुआ. गांव में एक महिला के साथ छेड़खानी की जा रही थी, जब इसका विरोध प्रदीप ने किया तो तो बदमाशो ने उन्हें गोली मार दी. स्पाइन में गोली लगने के कारण उनके शरीर के निचली हिस्से में कोई जान नहीं रहा गई. इसके बाद काफी वर्षो तक प्रदीप डिप्रेशन में चले गए थे.
फेलियर कहते थे लोग तब परिवार बना हिम्मत
इसके बाद उनकी जिंदगी में उम्मीद बनकर आई व्हीलचेयर लीग. दरअसल, प्रदीप जब बिस्तर पर थे तो खिलाड़ियों को देखा करते थे और सोचते थे की अगर ये खिलाड़ी भी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बल्कि अपना साहस बना रहें है तो मैं क्यों नहीं और यही जज्बा आज इन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंच तक ले आया. प्रदीप के परिवार और उनके दोस्तों ने काफी मदद की. जिसके बाद प्रैक्टिस के दौरान प्रदीप ने खूब पसीना बहाया. खिलाड़ी के अनुसार आगे उनके टारगेट देश के लिए समर्पित है और गोल्ड मैडल लाने का है. फिलहाल सरकार की तरफ से आर्थिक मदद के लिए भी खिलाड़ी अपील कर रहें