बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के लिए बड़ा खतरा बने ये 3 कट्टरपंथी संगठन

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(www.arya-tv.com)बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू लगातार कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर हैं। 9 साल में इन पर 3721 हमले हो चुके हैं। हमलों में प्रमुख रूप से 3 इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों (अंसरुल्लाह बांग्ला टीम, हिफाजत-ए-इस्लाम, जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश) का हाथ है। जानिए, ये कब बने, कौन है कर्ताधर्ता और ये कैसे दहशत फैला रहे।

1. अंसरुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी)

स्थापना– रहमानी ढाका की एक मस्जिद में इमाम था। 2008 से 2013 तक यानी करीब 5 साल में उसने ये संगठन खड़ा किया था। अंसरुल्लाह बांग्ला टीम नाम की वेबसाइट के जरिए वह अपने विचारों का प्रचार-प्रसार करता था। इस वेबसाइट का सर्वर पाकिस्तान में है। यह फेसबुक पर भी मौजूद है।

कारस्तानी– यह हिंदुओं के खिलाफ भड़काने का काम करता है। 2013 में बांग्लादेश में सेक्युलर ब्लॉगर्स की नृशंस हत्याओं के बाद पहली बार सामने आया। 2015 में एक बड़ी बैंक डकैती में शामिल होने के बाद बांग्लादेश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया।

2. हिफाजत-ए-इस्लाम,

स्थापना– 2010 में मदरसा शिक्षकों व छात्रों ने बनाया। फंडिंग पाकिस्तान करता हैै। 2009 में बांग्लादेश सरकार ने महिला विकास नीति का मसौदा तैयार किया था, जिसका कट्टरपंथी गुटों ने विरोध किया और बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की। इसी के बाद ये संगठन पूरी दुनिया में चर्चा में आ गया था।

कारनामे– इसी साल मार्च-अप्रैल में एक युवक ने जॉइंट सेकेट्री ममुनुल हक की आलोचना करते हुए वीडियो अपलोड कर दिया था। विरोध में 80 हिंदुओं के घर फूंक दिए गए। इसी संगठन ने पीएम मोदी के बांग्लादेश दौरे पर दंगे भड़काए और हिंसा की।

3. जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश 

स्थापना– 1998 में गठन हुआ। 2005 में तब सुर्खियों में आया, जब बांग्लादेश के 64 जिलों में करीब 500 सिलसिलेवार धमाके किए। इसके बाद बांग्लादेश सरकार ने इस संगठन के सभी प्रमुख सदस्यों का सफाया कर दिया था। 2010 तक ये माना जाने लगा था कि ये संगठन खत्म हो चुका है।

कारनामे– 2014 में इस संगठन की मौजूदगी तब पता चली जब बर्दवान में गलती से एक विस्फोट हुआ था। फिर संगठन के खुफिया ठिकाने सामने आए। 2016 में जेएमबी के ही एक गुट ने ढाका की होली आर्टिजन बेकरी में विस्फोट किया था।