(www.arya-tv.com) कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी कहलाती है। श्रीधाम वृंदावन में इस दिन परिक्रमा लगाने का विशेष महत्व है। कहीं-कहीं इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं। इसलिए इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा भी है।
ज्योतिषाचार्य आचार्य श्यामदत्त चतुर्वेदी ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास की नवमी तिथि को आंवला नवमी कहते हैं। विवाहित स्त्रियां विशेष रूप से नवमी का पूजन करती हैं। इस दिन गंगा-यमुना स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस दिन श्रद्धालु श्रीधाम वृंदावन के साथ मथुरा और गरुण गोविंद (तीनवन) की परिक्रमा भी लगाते हैं।
इस दिन क्या करें
आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में बैठकर पूजन कर उसकी जड़ में दूध देना चाहिए। इसके बाद अक्षत, पुष्प, चंदन से पूजा-अर्चना कर और पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा बांधकर कपूर, शुद्ध घी की बाती से आरती करते हुए सात बार परिक्रमा करनी चाहिए तथा इसकी कथा सुनना चाहिए। भगवान विष्णु का ध्यान एवं पूजन करना चाहिए। पूजा-अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान आदि का भोग लगाया जाता है। आंवला पेड़ की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होतीं हैं।
इस बार दो दिन मनेगी अक्षय नवमी
परंपरानुसार अक्षय नवमी के लिए पूर्वाह्नव्यापिनी तिथि माननी चाहिए, लेकिन यदि यह तिथि दो दिन है। ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में अक्षय नवमी का उत्सव 13 नवंबर को मनाया जाएगा। जबकि अनेक स्थानों पर 12 नवंबर शुक्रवार को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाएगा।