मिर्जापुर में मां के दर्शनों के लिए कठिन परीक्षा:तपती जमीन और रास्ते में कंकड़ पत्थर से होती है दिक्कत

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(www.arya-tv.com) मिर्जापुर। विंध्याचल में विंध्य कॉरिडोर के निर्माण के बीच करीब 42 डिग्री सेल्सियस में आम भक्त दर्शन पूजन कर रहे हैं। आग उगलता सूरज और तपती जमीन पर नंगे पांव झुलसाती गर्मी के बीच भक्तों का माता के धाम में आना कठिन तपस्या से कम नहीं हैं। किसी वीआईपी के आगमन पर लाल कारपेट बिछाने वाला जिला प्रशासन भक्तों की मुसीबत से अनजान बना हैं ।

भक्तों की सुविधा, सुरक्षा कागजों पर सिमटी

भक्तों के सुविधा के नाम पर बड़े बड़े दावें किए जा रहे हैं । विंध्य पर्वत पर विराजमान माता विंध्यवासिनी का दर्शन करने के लिए दूरदराज से भक्त सपरिवार आते हैं । जिसमें बाल, वृद्ध,नर नारी सभी शामिल होते हैं । विंध्य परिपथ के नाम पर मंदिर के चारों तरफ दुकानों को जमींदोज कर दिया गया है । लिहाजा मार्ग पर कंकड़ पत्थर ही है । माता के धाम में आने के लिए भक्तों को करीब 50 फीट दूर से ही माला फूल लेकर नंगे पांव मंदिर की ओर आना पड़ता हैं। चिलचिलाती धूप और तपती जमीन पर लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार करते हैं । मां में धाम में पहुंचे भक्त उनका दर्शन कर अपना दु:ख दर्द भूल जाते हैं ।

ज़िम्मेदार लोगों ने फेरी आंख, यात्रियों की आस

भक्तों के सुविधा के नाम पर धाम में काम करने वाला विंध्य विकास परिषद भक्तों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है । आम दर्शनाथियों की सहूलियत का रंचमात्र भी परवाह नहीं है । बिहार से आए राम दुलारे सिंह ने यात्रियों को खुद के भरोसे छोड़े जाने को अमानवीय कृत्य बताया । पटना से आए विजय कुमार ने कारीडोर योजना को सराहा जबकि गर्म जमीन को भक्तों के लिए दुखदायी बताया । उन्होंने जमीन पर मैंटी बिछाकर राहत देने की मांग की । छोटे-छोटे बच्चे भी अपने मां-बाप के साथ नंगे पांव धूप में खड़े नजर आए । दरभंगा के विशाल कुमार ने लाइन के बीच पसीना पोछते हुए कहा कि माता रानी के दरबार में आने के बाद भक्तों को हो रहे कष्ट का प्रतिफल अव्यवस्था बनाने वाले जरूर मिलेगा।

धाम में प्रतिदिन हजारों दर्शनार्थी

धाम में अव्यवस्था के बीच भक्तगण प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शन पूजन कर रहे हैं । उनकी सुविधा के लिए कोई व्यवस्था नए की गई है ।अच्छा होता मंदिर में व्यवस्था का जिम्मा संभालने वाली संस्था भक्तों की राह में कंकड़ पत्थर बिछाने की बजाए घास फूस डलवा देती । जिससे दर्शनार्थियो को तपती जमीन और चुभते कंकड़ पत्थर से राहत मिलता।

तपती दोपहरी में पानी नदारद, बोतल बना सहारा

धाम में आने वाले भक्तों के लिए पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है । जिसे प्यास लगे वह दुकानों से बोतल का पानी खरीद करके अपनी प्यास बुझा सकता है । आधुनिकता की दौड़ में जब जगह-जगह वाटर कूलर लगाया जा रहा है ते विंध्याचल धाम में पानी की किल्लत यात्रियों के लिए मुसीबत बना है । प्यास लगने पर लोग दुकान में बिकने वाली बोतल का पानी खरीद कर अपने गले को तर कर रहें है।