कम कीमतों से जूझ रहा स्टील सेक्टर; 150 यूनिट्स ने बंद किया उत्पादन, सरकार के विस्तार लक्ष्य पर खतरा

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अभिषेक राय

(www.arya-tv.com) स्टील की कम कीमतें छोटी कंपनियों के लिए समस्या बन सकती हैं। इस्पात सचिव संदीप पौंड्रिक ने यह संभावना जताई। उन्होंने कहा कि कम कीमतों के कारण करीब 150 छोटे स्टील उत्पादकों ने उत्पादन बंद कर दिया है। स्टील समिट 2025 को संबोधित करते हुए पौंड्रिक ने बताया कि पांच साल पहले स्टील की कीमतें जरूरत से अधिक थीं, लेकिन आज ये जरूरत से कम स्तर पर हैं, जिससे बाजार में असंतुलन पैदा हो गया है।

कम कीमतें सरकार के क्षमता बढ़ाने के लक्ष्य पर डाल सकती हैं असर
पौंड्रिक ने कहा कि छोटे उद्योगों के लिए मौजूदा कीमतें एक बड़ी चुनौती बन गई हैं, खासकर ऐसे समय में जब सरकार अगले पांच से सात वर्षों में स्टील क्षेत्र की क्षमता बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। आपने अभी सभी कंपनियों के दूसरी तिमाही के नतीजे देखे हैं, लगभग सभी के मुनाफे में कमी आई है। लेकिन कीमत एक समस्या है, खासकर तब जब हमें अगले पांच से सात वर्षों में 100 मिलियन टन क्षमता में निवेश करने की जरूरत है।

अधिशेष उत्पादन विश्वभर के लिए समस्या
सचिव ने यह भी बताया कि विश्वभर में, विशेषकर चीन में, अधिशेष उत्पादन और उसके परिणामस्वरूप डंपिंग एक वास्तविक समस्या है, न केवल हमारे लिए, बल्कि प्रत्येक देश के लिए।

सरकार घरेलू स्टील उद्योग की कर रही सुरक्षा
पौंड्रिक ने कहा कि सरकार ने आयातित स्टील पर अस्थायी रूप से सुरक्षा शुल्क लगाया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि घरेलू स्टील उद्योग को किसी समस्या का सामना न करना पड़े। अच्छी खबर यह है कि स्टील की खपत बढ़ रही है, क्षमता बढ़ रही है। बढ़ती खपत को पूरा करने के लिए पिछले 10 वर्षों में नई क्षमताएं विकसित की जा रही हैं।

स्टील उद्योग एक रणनीतिक क्षेत्र है
सचिव ने कहा कि देश की दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता के लिए स्टील उद्योग को संरक्षित करने की आवश्यकता है। यह एक रणनीतिक क्षेत्र है, इस अर्थ में कि अगर आप आयात पर निर्भर हो जाते हैं, तो आपको भू-राजनीतिक कारणों से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसा कि हम आज विश्व में देख रहे हैं।

स्टील पर कुछ कंपनियों के प्रभुत्व की धारणा गलत
इस्पात उद्योग पर 3-4 बड़ी कंपनियों के प्रभुत्व की धारणा को खारिज करते हुए पौंड्रिक ने कहा कि भारत में 47 प्रतिशत इस्पात का उत्पादन 2,200 मध्यम स्तर की इस्पात उत्पादक कंपनियों द्वारा किया जाता है।