महापंचायत ने चुना संयम और अनुशासन का रास्ता, भीड़ को वापस घर भेजा

National

(www.arya-tv.com) गाजीपुर बॉर्डर पर गुरुवार को चले हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद यूपी की सियासत में शुक्रवार का दिन मौसम और सियासत के हिसाब से जुदा रहा। दिल्ली से 125 किमी दूर मुजफ्फरनगर के जीआईसी मैदान में भाकियू की महापंचायत के दिन कोहरे को चीरकर धूप निकली। साथ ही, किसानों के सत्ता विरोधी तेवरों को भुनाने के लिए सियासी नेताओं को मुद्दत बाद बड़ा मजमा भी मिला।

तीन घंटे विलंब से महापंचायत शुरू हुई, लेकिन भीड़ सवेरे से ही जुटती रही। सब फैसले के इंतजार में और दिल्ली कूच की तैयारी के साथ पहुंचे। लेकिन भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने बेहद संयम से सबको यह कहकर गांवों में लौटा दिया कि एक दिन में अपने जरूरी काम निपटाकर दिल्ली बॉर्डर पर आते-जाते रहें। 2013 में महापंचायत के बाद इसी जिले की धरती पर दंगे भड़के थे और उसके बाद यह पहली महापंचायत थी। रात से ही प्रशासन के हाथ-पांव फूले नजर आ रहे थे। तीन थानों में तालाबंदी की गई थी। व्यापारी सहमे हुए और बाजार बंद थे।

इस सबसे बेपरवाह किसान और उनमें अधिकांश जाट सिर्फ फैसला सुनने को आतुर थे। मंच से सपा, कांग्रेस व राष्ट्रीय लोकदल के नेता किसानों के गुस्से को भुनाने की कोशिश में जुटे रहे। भीड़ के किनारे दो बैसाखियों के सहारे खड़े बहादुरपुर के 68 वर्षीय किसान सुरेश पाल सिंह चीखकर कहने लगे, ‘सरकार तक यह बात पहुंचा दो, किसी किसान से बदसलूकी न करे, वर्ना ये किसान सरकार बिगाड़ना भी जानते हैं।’

सबके दिमाग में एक ही सवाल कौंध रहा था कि क्या यह भीड़ गाजीपुर बॉर्डर की तरफ कूच करेगी? या भाकियू के दो दिन पुराने आह्वान के मुताबिक थानों और हाइवे पर कब्जा तो नहीं करेंगे? अधिकांश किसान ट्रैक्टरों पर जरूरत का सामान लादकर आए थे। यहीं से गाजीपुर बॉर्डर कूच करने की तैयारी में दिख रहे थे। बैकफुट पर आए अफसर पूरे दिन विनम्रता का नमूना पेश करते रहे।

2013 के दंगों के बाद भाकियू के लेफ्टिनेंट गुलाम जौला भी मंच पर
भाकियू नेता गुलाम मोहम्मद जौला का 7 साल बाद मंच पर आना महापंचायत की कामयाबी रही। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जौला भाकियू से अलग हो गए थे। जौला, स्व. चौ. महेंद्र सिंह टिकैत के लेफ्टिनेंट के रूप में विख्यात थे।

यूपी में लोकसभा की 17 सीटों पर जाट वोट बैंक का सीधा असर
पश्चिमी यूपी में जाट 17% से ज्यादा हैं। यूपी की 17 लोकसभा और 120 विधानसभा सीटों पर जाट वोट बैंक सीधा असर डालता है। गाजीपुर बॉर्डर की घटना से यह संदेश गया कि यह भाकियू नहीं, बल्कि जाट समुदाय को सीधी चुनौती है।

खाप चौधरियों की हुंकार, टिकैत के आंसुओं का सरकार से मांगेंगे हिसाब
मंच पर जाटों की अलग-अलग खापों के चौधरियों ने राकेश टिकैत के आंसुओं का हिसाब सरकार से मांगने की बात कही। खाप चौधरी सुरेंद्र सिंह ने यहां तक कह डाला कि टिकैत की आंखों में आया पानी सड़कों पर सैलाब बनकर बहेगा।

महापंचायत के ऐलान के बाद बैकफुट पर आई सरकार
भाकियू ने गुरुवार देर रात ही महापंचायत का ऐलान कर बैकफुट पर ला दिया था। 26 जनवरी के बाद नरेश टिकैत ने धरना समाप्त करने की घोषणा भी कर दी थी। लेकिन राकेश टिकैत के आंसुओं का अंदाज लगाने में अफसर चूक गए।