(www.arya-tv.com) बैंकों द्वारा दिया गया ऐसा कर्ज, जिसके वापस आने की संभावना बहुत कम या नहीं के बराबर हो जाती है उसे एनपीए यानी नान परफार्मिग असेट्स की संज्ञा दी जाती है। ऐसे कर्ज का आकार इस समय आठ लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है जिसमें अधिकांश सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का है। एनपीए के कारण बैंकों के बैलेंस शीट पर अनावश्यक बोझ रहता है, उनकी ऋण देने की क्षमता कम हो जाती है। साथ ही, इसका परिणाम निवेशकों को भुगतना पड़ता है जिससे पूरी अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है।
एनपीए की समस्या वर्षो से चली आ रही है। अदेय कर्ज की उगाही के लिए सरकार ने कानून और संस्थागत प्रबंध किए हैं, इसके बावजूद बहुत धनराशि वापस नहीं आती है। इन्साल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड, असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी, सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन आफ फाइनांशियल असेट्स एंड इनफोर्समेंट आफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट पहले से ही हैं, फिर भी बैड बैंक की स्थापना इस दिशा में एक नई पहल है।
बैड बैंक की स्थापना का सुझाव भारतीय बैंकिंग एसोसिएशन ने कुछ माह पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक को दिया था। छह हजार करोड़ रुपये की पूंजी से एनएआरसी यानी नेशनल असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी बनाने के लिए लाइसेंस मांगा था। इस बैड बैंक का उद्देश्य बैंकों से उनके अदेय ऋण निर्धारित रियायती दर पर खरीदना और उसकी उगाही का प्रबंध करना होगा। कंपनी में 49 प्रतिशत की भागीदारी बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों की होगी और इसका प्रबंध भी उन्हीं को करना होगा।
जिस मूल्य पर कंपनी बैंकों का अदेय ऋण खरीदेगी, उसका 15 प्रतिशत बैंकों को नकद देगी, शेष 85 प्रतिशत सिक्योरिटी रिसिप्ट के रूप में देगी जो सरकार द्वारा गारंटीड होगी, जिसका इस्तेमाल ऋण की कम से कम निर्धारित उगाही न होने की स्थिति में किया जा सकेगा। गारंटी रिसिप्ट ट्रेडेबल होगी यानी इससे बाजार से पूंजी उठाई जा सकती है। अगले पांच वर्षो में दो लाख करोड़ रुपये की अदेय संपत्ति कंपनी बैंकों से खरीदने के लिए अधिकृत की गई है जिसका खरीद मूल्य 36 हजार करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।
इसमें पहले चरण में 90 हजार करोड़ रुपये की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सरकार एक इंडियन डेट रिजोल्यूशन कंपनी लिमिटेड की स्थापना भी करेगी जो एनएआरसी के साथ मिलकर एनपीए की समस्या के शीघ्र निदान के लिए काम करेगी।
इस वर्ष के बजट में दोनों कंपनियों की स्थापना का प्रस्तावना किया गया था। पिछले कुछ वर्षो में सरकार के प्रयास से सार्वजनिक बैंकों के अदेय ऋण की उगाही में तेजी आई है। छह वर्षो में लगभग पांच लाख करोड़ रुपये के ऋण वसूल किए गए जिनमें लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की वसूली 2018 से अब तक की गई है। अदेय ऋण के कारण बैंकों को पूंजी की कमी से जूझना न पड़े इसके लिए केंद्र सरकार बजट में प्रविधान करती रही है।
वर्ष 2017-18 में 90 हजार करोड़ रुपये, 2018-19 में 1.06 लाख करोड़ रुपये, 2019-20 में 70 हजार करोड़ रुपये और 2020-21 में 20 हजार करोड़ रुपये के प्रविधान के किए गए। बैंकों की प्रबंध व्यवस्था में भी सुधार किए गए। कई बैंकों को मिलाकर बड़े बैंकों की स्थापना, रिस्क मैनेजमेंट में सुधार, डेट रिकवरी टिब्यूनल की स्थापना एवं कर्ज वापस न करने वाले उद्योगपतियों के खिलाफ कार्रवाई इस दिशा में प्रभावशाली कदम हैं।
वर्ष 2018 में 21 में से 19 सार्वजनिक बैंक घाटे में थे, 2020-21 में मात्र दो बैंक घाटे में रहे। सार्वजनिक बैंक अब बाजार से भी पूंजी उठाने की स्थिति में हैं जिससे सरकार का बोझ कम होगा। बैड बैंक की स्थापना के पीछे सरकार के सोच का खुलासा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि एनपीए के प्रबंधन के लिए प्रोफेशनल मैनेजमेंट की आवश्यकता है।
बैंक मैनेजर बैंक से संबंधित व्यावसायिक कार्य कुशलतापूर्वक कर लेते हैं, किंतु ऋण की उगाही व संपत्ति पुनíनर्माण के लिए आवश्यक है कि यह काम पेशेवर कुशल प्रबंधकों को दिया जाए। बैंक स्वयं को बैंकिंग सेवाओं के प्रति समर्पित करें, कर्ज की उगाही और संपत्ति के पुनíनर्माण का कार्य बैड बैंक करें। एनपीए प्रबंधन के लिए उन्होंने सरकार की रणनीति की चार मुख्य बातों का उल्लेख किया है: समस्या को समझना, उसका निदान करना, पुन: पूंजीकरण करण और व्यवस्था में सुधार।
बैड बैंकों की स्थापना विश्व के अनेक देशों में पहले की जा चुकी है। अमेरिका, स्वीडन, फिनलैंड, बेल्जियम, इंडोनेशिया, आयरलैंड, मलेशिया आदि देशों में ये एनपीए की समस्या के निदान में सहायक रहे हैं। भारतीय उद्योग जगत में बैड बैंक की स्थापना का स्वागत हुआ है। सरकार द्वारा गारंटी जहां एक ओर बैंकों की नकद तरलता यानी लिक्विडिटी बढ़ाने में सहायक होगी, वहीं सरकार के बजट पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।
एनपीए की समस्या के शीघ्र निदान के लिए सरकार द्वारा ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही है। विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे बड़े कर्जदार व्यवस्था की कमजोरियों का लाभ उठाते हुए भारी रकम डकार कर देश छोड़कर जा चुके हैं। ऐसे में जहां न्याय व्यवस्था पर सवाल उठते हैं, वहीं संस्थागत कमजोरियां भी सामने आती हैं जिनके लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए। बैड बैंक की स्थापना इस दिशा में अच्छा कदम साबित हो सकता है, यदि बैंक, वित्तीय संस्थाएं और सरकार मिलकर इसका संचालन प्रभावशाली ढंग से करें।