- आर्यकुल कालेज में गीता के उपदेशों पर विशेष ई वेबिनार का आयोजन
(www.arya-tv.com)आर्यकुल ग्रुप ऑफ कालेज में ई-वेबिनार के माध्यम से श्रीमद् भगवतगीता का युवाओं पर प्रभाव और महत्व पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध वैज्ञानिक और सचल मन वैज्ञानिक ध्यान के जनक डाॅ.विपुल सेन ने गीता से जुड़ी बातों पर गहन विचार व्यक्त किये। इसके साथ ही कार्यक्रम में आर्यकुल कालेज के संस्थापक बाबू के.जी.सिंह, प्रबंध निदेशक डाॅ.सशक्त सिंह, श्रीमति प्रेमलता सिंह और मैनेजमेंट कालेज के निदेशक डाॅ.इलियास रिजवी ने श्रोताओं के सामने विचार प्रस्तुत किये।

डाॅ.विपुल सेन
मुख्य वक्ता के रूप में संबोधन करते हुए डाॅ.विपुल सेन ने श्रोताओं को गीता के उपदेशों और उसकी अपार शक्ति की शब्दों से ऐसी व्याख्या की जैसे की मानों सच में कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं के मन में एक ऊर्जा का प्रवाह दौड़ गया हो। ऐसा लगा कि जीवन में पहली बार किसी ने वास्तव में गीता के उपदेशों के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताया हो। सारे श्रोताओं के मन में बस यही चल रहा था कि डाॅ. विपुल से आज ही सारे ज्ञान की प्राप्ति हो जाए। डाॅ.विपुल ने ध्यान, ज्ञान और योग का ऐसा व्याख्यान प्रस्तुत किया कि सब एकाग्रचित होकर सिर्फ उनकी ही बातों को सुन रहे थे।
आत्मा को जानना योग हैः डाॅ.विपुल सेन
डाॅ. विपुल सेन ने गीता के बारे में बतायी गयी योग की पूरी जानकारी अपने श्रोताओं से साझा की और बताया कि वर्तमान में जो योग हमें सीखाया जा रहा है। वह पूरी तरह से परिस्कृत रूप है। गीता में योग शब्द को अनेक अर्थ में प्रयोग किया गया है, परन्तु मुख्य रूप से गीता में ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग इन तीन योग मार्गों का विस्तृत रूप में वर्णन किया गया है। जिसमें ध्यानयोग को चित्त की चंचलता को दूर करने का सबसे उत्तम मार्ग बताया गया है। ध्यान योग का वर्णन करते हुए गीता के छठे अध्याय में कहते है कि एकान्त में स्थित अकेला चित्त और आत्मा को वश में किये हुए, कामनाओं से रहित किसी भी प्रकार के दबाब से रहित योगी, अपने आप को निरन्तर परमात्मा में लगाये। इसी को असली योग कहते हैं और इसी से ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है। कुल मिलाकर डाॅ.विपुल ने गीता के असली संदेशों को अपने अंदर धारण करते की जानकरी श्रोताओं से बतायी।
मंत्र जाप के साथ अपने इष्ट देवता की पूजा करे: डाॅ विपुल सेन
डाॅ.विपुल ने मंत्र जाप से अपने जीवन में ईश्वर की प्राप्ति का रास्ता बताया। उन्होंने बताया कि व्यक्ति को मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। साथ ही उन्होंने ॐ मंत्र के बारे में एक विशेष बात बताते हुए सचेत किया कि इस मंत्र का जाप ग्रहस्थ जीवन में रहने वाले व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। इसके अनेकों दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। इसलिए ग्रहस्थ जीवन में व्यक्ति को ॐ के साथ जुड़ा अन्य मंत्रों को जपना चाहिए। जिससे कि व्यक्ति की ऊर्जा सही ओर ले जाए। इसके साथ ही अपने इष्ट देवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए। जिससे कि व्यक्ति को जीवन में नयी नई ऊंचाइयों के साथ लगातार ऊर्जा मिल सके।
- किसी भी समय पूरा कर सकते हैंः डाॅ.विपुल
डाॅ.विपुल ने पूजा के समय के बारे में बताया कि कोई भी व्यक्ति किसी भी समय पूजा कर सकता है। पर सबसे अच्छा समय रात्रि 10 बजे के बाद का है। जब शांति का माहौल बना होता है। जिससे कि ध्यान सही से लग सके और ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। इसके लिए की निश्चित स्थाना की कोई जरूरत नहीं होती है। उन्होंने इसे गीता से जोड़ते हुए कहा कि आत्मा का कोई समय नहीं होता वह अजर अमर हैं।
- गीता के उपदेशों से जीवन में तनाव से मुक्ति : निदेशक डाॅ.इलियास
कार्यक्रम में अगले वक्ता के रूप में आर्यकुल कालेज मैनेजमेंट विभाग के निदेशक डाॅ.इलियास रिजवी ने कहा कि गीता के उपदेशों से ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसे सभी को पढ़ना चाहिए और इसमे लिखि बातों को अपने अंदर समाहित करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को गीता के उपदेशों को सीखने और उससे आगे बढ़ने की सलाह दी। इसके साथ डाॅ. रिवजी ने विद्यार्थियों को तनाव रहित जीवन की जीने की सलाह दी। इसके साथ ही श्री रिजवी ने गीता के उपदेशों में लिखे श्लोकों को जीवन में अपनाने की बात कही।

- कर्म के अनुरूप फल मिलता है: डाॅ.सशक्त सिंह
आर्यकुल कालेज के विद्यार्थियों और श्रोताओं को संबोधित करते हुए आर्यकुल कालेज के प्रबंध निदेशक ने स्पष्ट किया कि जीवन में कर्म के अनुरूप ही फल मिलता है यही गीता में लिखा है। इसलिए व्यक्ति को अपने कर्म से पीछे नहीं भागना चाहिए। इसके साथ ही सभी को गीता में बताये गये उपदेशों पर चलना चाहिए जिससे कि अपने के साथ सबका भला हो सके ।
कार्यक्रम में आर्यकुल कालेज के छात्र-छात्राओं के साथ अन्य लोगों ने हिस्सा लिया।