(www.arya-tv.com) चुनाव नजदीक आने के साथ ही उत्तर प्रदेश में एक बार फिर प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा गंभीर होता जा रहा है। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने सभी राजनीतिक दलों से सवाल किया है कि उनके घोषणा पत्र में प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा होगा या नहीं यह बताए। इसके साथ ही आठ साल से लोकसभा में प्रमोशन में आरक्षण बिल पास न होने पर समिति के सदस्यों ने बीजेपी पर हमला भी बोला है।
वोट की चोट
उप्र में 8 लाख दलित कर्मचारी है। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति की ओर से इसको लेकर अपने संगठन से जुड़े लोगों को वोट की चोट से अपना संवैधानिक अधिकार सुरक्षित करने का निर्देश जारी किया है। सभी राजनीतिक दलों से यह मांग भी उठाई गई है कि वह विधान सभा चुनाव से पहले अपने घोषणा-पत्र में क्या यह मांग शामिल करेंगे। समिति के संयोजक अवधेश वर्मा ने कहा कि पिछले 8 वर्षों से भाजपा सरकार में पदोन्नति में आरक्षण का बिल लोकसभा में लम्बित है लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है। वहीं सपा सरकार में रिवर्ट किए गए 2 लाख दलित कार्मिकों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है।
पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था लागू नहीं
सरकार ने आज भी पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था लागू नहीं की। काफी लम्बे समय से राजनैतिक पार्टियों आरक्षण के मुद्दे पर दलित कार्मिकों को गुमराह कर रही हैं। प्रदेश के ज्यादातर विभागों में दलित कार्मिकों का उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व लगभग शून्य है। जो यह साबित करता है कि केवल वोट की राजनीति के लिए दलितों को याद किया जाता है।