(www.arya-tv.com)बहरिया विकासखंड के नूरपुर गांव में ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी (ग्राम विकास अधिकारी) द्वारा मनरेगा के बजट में गड़बड़झाला किया गया है। दोनों मिलकर मनरेगा का बजट डकार गए। गांव के ही एक व्यक्ति ने इसकी शिकायत ब्लाक से लेकर जिले के अधिकारियों तक कर डाली लेकिन किसी ने कोई एक्शन नहीं लिया, न तो कोई जांच हुई। अंत में शिकायतकर्ता ने इसकी शिकायत सीधे लोकायुक्त के यहां कर दी। इस मामले पर उसने परिवाद दाखिल किया तो जिले के अफसर हरकत में आ गए । अब मामले की जांच के लिए अधिकारियों की टीम गठित कर दी गई है, जिसमें जिले के बड़े अधिकारी शामिल हैं। जांच में ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी समेत ब्लॉक और जिले के संबंधित अधिकारियों पर गाज गिरना तय है।
अपने ही खाते में मंगा ली मजदूरी की धनराशि
शिकायतकर्ता अमृतलाल पटेल ने शिकायत की है कि ग्राम प्रधान श्यामपति ने मजदूरी का भुगतान मजदूरों के खाते में न करके सीधे अपने खाते में करा लिया है। सगरा तालाब एवं राजेंद्र मौर्य के घर के पास तालाब खुदाई में जेसीबी मशीन का प्रयोग किया गया था लेकिन लिखा पढ़ी में तालाब की खुदाई का कार्य मजदूरों के जरिए दिखाया गया है। मनरेगा की धनराशि ऐसे लोगों के खाते में भेजी गई जो कार्य किए ही नहीं हैं, यानी मजदूर भी फर्जी दिखाए गए हैं। प्रधान श्यामपति व ग्राम पंचायत अधिकारी रवींद्र प्रताप सिंह की ओर से बजट का बंदरबाट किया गया है।
लोकायुक्त के यहां दाखिल परिवाद में शिकायतकर्ता ने मांग की है कि राज्यवित्त, 15वां वित्त एवं मनरेगा वर्ष 2020-21 एवं 2022-23 की जांच कराते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और गलत भुगतान की वसूली कराके बजट ग्राम निधि या मनरेगा के खाते में जमा कराया जाए।
शिकायतकर्ता ने कहा, अफसरों ने नहीं लिया एक्शन
दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान शिकायतकर्ता अमृतलाल ने बताया कि उसने विकासखंड बहरिया के खंड विकास अधिकारी श्रीचंद्र गुप्ता से कई बार लिखित शिकायत की लेकिन हमेशा वह टालते रहे। इसके बाद डीपीआरओ, डीडीओ और निवर्तमान सीडीओ, डीएम, कमिश्नर तक भी शिकायत की लेकिन अफसरों ने कोई एक्शन नहीं लिया। अब मामला लोकायुक्त तक पहुंचा तो इसकी जांच शुरू हो गई है।
