राजधानी में घायल और तड़पते बेजुबानों के नाम पर चल रहा मदद का धंधा उनकी जान लेकर चल रहा है। इस कार्य में शामिल ज्यादातर स्वयं सेवी संस्थाओं (एनजीओ) ने क्षेत्रों में दलाल की तरह वालंटियर बना रखे हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं, जो घायल व बीमार पशुओं का इलाज और संरक्षण कराने के नाम पर पशु प्रेमियों से रुपये मांगकर इकट्ठा करते हैं और एनजीओ से कमीशन लेकर उनके झोलाछाप शेल्टर होम पर भेजते हैं।
इनके पास न कोई पंजीकृत चिकित्सक है न ही उपचार और संरक्षण के किसी तरह के मानक हैं। सड़क से उठाए आवारा पशु की मौत व उपचार में कोई जोखिम नहीं है। न ही कोई आपत्ति करने वाला। सम्बंधित विभागों को भी इस खेल की जानकारी नहीं है न ही पशु प्रेमियों को। जो उनसे पैसा लेकर पशुओं की जान से खेलकर अपना धंधा चमकाने में लगे हैं जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की होगी। यदि कोई इस बीच आम व्यक्ति घायल पशुओं की सूचना पशु पालन या नगर निगम को देता है तो यह लोग सरकारी व्यवस्थाएं खराब बताकर विरोध कराते हैं। खुद वसूली करके पशु शेल्टर होम पहुंचाते हैं और आपस में रुपये बांट लेते हैं। या फिर वहीं सड़क पर बिना उपचार कराए मरते दम तक रुपये लेते हैं। कुछ उदाहरण देखिए जो जमीनी हकीकत बयां कर रहे हैं।
केस-1- बटोरते रहे पैसा, करीब चार घंटा खून बहने से चली गई गाय की जान
– रविवार को कैसरबाग मंडी में एक गाय का पैर फटा होने की किसी व्यक्ति ने नगर निगम को जानकारी दी। इधर, दलाल सक्रिय हो गए। जिन्होंने नगर निगम की खराब व्यवस्था बताकर सूचनादाता से रेस्क्यू टीम को मना करा दिया और कुछ लोगों के सहयोग से गाय को बंधवा दिया। इस बीच पैर और क्षतिग्रस्त होने से करीब चार घंटे खून बहा। इधर, दलाल एक शेल्टर होम में गाय भेजने के लिए चंदा करते रहे और क्रूरता से उसे लोडर में रखकर काकोरी स्थित एक शेल्टर होम में भेज दिया। वहां झोलाछाप इलाज और अधिक खून बहने से कुछ देर बाद मौत हो गई। गाय लंपी वायरस से भी ग्रसित थी। जिसका इलाज पंजीकृत और सरकारी चिकित्सक ही कर सकते हैं। अंतिम संस्कार के भी रुपये मांगे गए।
– केस-2- पांच घंटे तड़पती रही गाय, इलाज कराने पर विरोध
– विकास नगर में एक गंभीर गाय की सूचना शाम पांच बजे करीब लोगों ने नगर निगम को दी। जाम के कारण गाड़ी पहुंचने में समय लगा। हालत बिगड़ी तो करीब रात नौ बजे सीवीओ स्तर से भिठौली पशु चिकित्साधिकारी द्वारा तत्काल जानकारी मिलने पर गाय का इलाज कराया और इधर, नगर निगम कान्हा गोशाला ले गया। इधर, दो खेमों में यह केस बंटा था, जो गाय के नाम पर चंदा करते रहे, लेकिन इलाज नहीं कराया। बल्कि नगर निगम द्वारा ले जाने का काफी विरोध किया और मदद करने वाले व्यक्तियों के लिए अपशब्द कहे।
डीएम के निर्देश पर पहुंची टीम, अवैध मिला धंधा
कैसरबाग मंडी से रेस्क्यू करके काकोरी में संचालित एक शेल्टर होम पहुंचाई गई गाय की मौत मामले का जिलाधिकारी विशाख जी ने संज्ञान लेकर तत्काल जांच के निर्देश दिए। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. सुरेश ने शेल्टर होम की संचालक से फोन पर जानकारी की तो गुमराह करके गाय लाने की बात से इन्कार कर दिया। डॉ. सुरेश ने शाम को पशुधन प्रसार अधिकारी को मौके पर भेजा तो गाय की मौत हो चुकी थी। सोमवार सुबह काकोरी पशु चिकित्साधिकारी डॉ. ब्रजेश के साथ टीम भेजकर शेल्टर होम की जांच कराई। जहां न चिकित्सक मिले न ही कोई मानक। संस्था द्वारा स्वयं इलाज करते पाया। इनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है।
