लखनऊ विश्वविद्यालय अब मीठे और खारे पानी की भारतीय मछलियों में संक्रमण और उनके स्वास्थ्य पर शोध करेगा। यह अध्ययन विश्वविद्यालय और दक्षिण अफ्रीका के यूनिवर्सिटी ऑफ लिम्पोपो की अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त परजीवी विज्ञानी डॉ. इवा प्रिक्रिलोवा के सहयोग से किया जाएगा। डॉ. इवा प्रिक्रिलोवा विश्व स्तर पर मछली परजीवी विज्ञान की प्रमुख विशेषज्ञ मानी जाती हैं।
विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग में आयोजित सेमिनार में डॉ. इवा ने “एक महाद्वीप से दूसरे तक मछली परजीवियों के साथ एक अद्भुत यात्रा” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने अफ्रीका में किए गए अपने क्षेत्रीय शोधों के आधार पर मोनोजीनियन परजीवियों की विविधता, मीठे पानी की मछलियों के साथ उनके सहविकासात्मक संबंधों और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।
सजावटी मछलियों में संक्रमण की चिंता
डॉ. इवा ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका में आयातित सजावटी मछलियों पर हुए एक शोध में 42 प्रतिशत तक उच्च स्तर का परजीवी संक्रमण पाया गया। यह स्थिति जैव-सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है और इस क्षेत्र में परजीवी निगरानी व प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित करने की आवश्यकता है।
