(www.arya-tv.com) स्विट्जरलैंड के अरबेडो-कास्टिऑन शहर में 70 फीट ऊंची क्रेन आकर्षण का केंद्र है। इसकी छह भुजाओं से बड़े-बड़े ब्लॉक लहरा रहे हैं, लेकिन इन ब्लॉक से न बिल्डिंग बनाई जा रही है, न क्रेन का इस्तेमाल बिल्डिंग बनाने में हो रहा है। दरअसल, क्रेन नुमा लोहे का यह टॉवर बिजली का भंडारण करने वाला स्टोरेज सिस्टम है, जिसे अमेरिका-स्विट्जरलैंड के स्टार्टअप एनर्जी वॉल्ट ने डिजाइन किया है।
यह बिजली को बचाने ग्रिड को लौटाने के लिए ग्रेविटेशनल फोर्स 35 टन वजनी ब्लॉक से संचालित होता है। जब बिजली की मांग कम होती है, तो ग्रिड से आने वाली अतिरिक्त बिजली की मदद से मिट्टी-वेस्ट मटैरियल से बने ब्लॉक एआई की मदद से चार्ज होकर ऊपर उठ जाते हैं। जब बिजली की मांग बढ़ती है, तो ये ब्लॉक ग्रेविटेशनल फोर्स से जमीन की ओर आने लगते हैं और बिजली ग्रिड में लौट जाती है। बिजली को बचाने का यह तरीका स्कूल के किसी विज्ञान प्रोजेक्ट का हिस्सा लग सकता है, लेकिन स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ती दुनिया के लिए यह महत्वपूर्ण हो सकता है।
2050 तक 90% बिजली बनेगी
एनर्जी वॉल्ट के संस्थापक रॉबर्ट पिकोनी के मुताबिक, ‘तमाम कंपनियों पर कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए दबाव बढ़ता रहा है। ऐसे में यह तरीका अहम साबित हो सकता है। कोयले से बिजली दिन-रात बनती है। लेकिन हवा और सौर ऊर्जा से बनी बिजली मौसम और सौर किरणों पर निर्भर करती है। हवा थमने या बादल होने पर बिजली नहीं बन पाती। इसलिए लगातार उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ऐसे स्टोरेज वॉल्ट उपयोगी हैं।’
एनर्जी रिसर्च और कंसल्टेंसी फर्म वुड मैकेंजी डैन श्रेव के मुताबिक, इस समस्या का समाधान लिथियम-आयन बैटरी भी है, लेकिन इनका इस्तेमाल शॉर्ट टर्म एनर्जी स्टोरेज के लिए किया जा सकता है। यह स्टोरेज छह घंटे के लिए होता है। इसमें लिथियम की उपलब्धता सीमित है। इसलिए ऐसे स्टोरेज सेंटर भविष्य की जरूरत हैं। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार, दुनियाभर में 30% बिजली सूरज, हवा, पानी और अन्य स्थायी स्रोतों से बनाई जा रही है। 2050 तक 90% बिजली रिन्यू सोर्स से उत्पन्न होगी। स्विट्जरलैंड 75% पूर्ति रिन्यू एनर्जी के जरिये करता है।