टेक्नोलाॅजी-करीबन 30 की उम्र वाले युवकों के लिए अकेलेपन का पर्याय

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(www.arya-tv.com) शुक्रवार का दिन है और शाम ढलने को है। अमन और रिया शहर के नये रेस्टाॅरेंट में अपने साप्ताहिक डेट नाइट पर गये हुए हैं। उनकी शादी के पांच वर्ष हो चुके हैं। शुक्रवार के दिन वो घर से बाहर कहीं किसी जगह पर अपना समय गुजारते हैं। होना तो ये चाहिए कि दुनिया से बेखबर, वो बस एक-दूसरे के साथ हों।

लेकिन, रिया अपने इंस्टाग्राम को अपडेट करने में व्यस्त है। इसी बीच, अमन भी अपने काम के ईमेल्स को स्क्रोल कर रहा है। एक-दूसरे के साथ पूरी तरह से समय बिताने के बजाये, दोनों ही अपने-अपने स्मार्टफोन्स में गुम हैं। अनिल माथुर, चीफ आॅपरेटिंग आॅफिसर, गोदरेज इंटेरियो के अनुसार, अमन और रिया ऐसा करने वाले अकेले नहीं हैं। रेस्टाॅरेंट के अलग-अलग टेबल्स पर मोबाइल फोन्स चमकते दिखाई देते हैं। तस्वीरें ली जाती हैंः सोशल मीडिया पर पोस्ट्स अपडेट की जाती हैं, संदेशों के जवाब दिये जाते हैं, ईमेल पढ़े जाते हैं।

आपस में होने वाली परस्पर बातचीत के बजाये आभासी दुनिया के संवाद हावी हो जाते हैं। स्मार्टफोन के टचस्क्रीन को स्वाइप करने के साथ ही वृहत्तर आभासी दुनिया का द्वार खुल जाता है। दुनिया के दो अलग-अलग छोरों पर रहने वाले दो लोगों के बीच की दूरी लगभग समाप्त हो गयी है। लेकिन साथ ही, एक ही छत के नीचे रहने वाले दो लोगों के बीच का फासला काफी बढ़ भी गया है। शादी-विवाह हो, फैमिली डिनर हो, किसी तरह का सामाजिक समारोह हो या फिर लोगों का कोई बड़ा-सा जलसा, हर जगह लोग अपने स्मार्टफोन्स में खोये ही नजर आते हैं।

शारीरिक रूप से मौजूद होने के बावजूद, उनकी मानसिक उपस्थिति कहीं और होती है; तन कहीं और, मन कहीं और! स्मार्टफोन्स और इंटरनेट ने हमारी जिंदगी में क्रांति ला दी है और साथ ही हमारे जीवन को समृद्ध बनाया है। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी है। उन पर जरूरत से ज्यादा हमारी निर्भरता ने हमारे दांपत्य जीवन, दोस्तों व परिजनों के साथ हमारे रिश्तों, संबंधों को काफी प्रभावित किया है। दरअसल, गोदरेज इंटेरियो द्वारा हाल ही में कराये गये ‘मेक स्पेस फाॅर लाइफ’ सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 75 प्रतिशत मिलेनियल्स ने माना कि स्मार्टफोन्स और अन्य तकनीकी उपकरणों के अत्यधिक उपयोग के चलते वो अपने पार्टनर्स के साथ अच्छी तरह समय गुजार नहीं सके। सर्वेक्षण से प्राप्त अंतर्दृष्टियों से यह भी पता चलता है कि तल्लीनतापूर्वक स्मार्ट डिवाइसेज के उपयोग के चलते उनके पारिवारिक रिश्ते और संबंध खोखले होते जा रहे हैं।

एक तरफ, जहां स्मार्टफोन्स के अत्यधिक उपयोग के चलते अपने सगे-संबंधियों को समय न दे पाना चिंताजनक है, वहीं दूसरी तरफ अपने पेशेवर व व्यक्तिगत जीवन के बीच स्वस्थ संतुलन बनाये रखने की जद्दोजहद है। सर्वेक्षण के मुताबिक, 56.7 प्रतिशत भारतीयों ने अपने कार्य-जीवन संतुलन को भयानक माना।

यही कारण है कि भारत दुनिया के उन देशों की सूची में शामिल है जहां कार्य-जीवन संतुलन सबसे खराब स्थिति में है। और हाँ, स्मार्टफोन्स और आज की हमारी कनेक्टेड जिंदगी ने कार्य को बेहद सुविधाजनक बना दिया है, लेकिन इसका एक अर्थ यह भी है कि आप कभी अपने आॅफिस वास्तव में डिसकनेक्ट नहीं हो पाते हैं, अर्थात् इस सुविधा ने पारिवारिक जीवन के निजी पलों में भी सेंध लगा दी है।

लेकिन स्मार्टफोन्स पर हमारी निर्भरता हमें अस्वास्थ्यकर जीवनशैली की ओर ले जाती है। मिलेनियल्स अपने खाली समय में भी अपने डिवाइसेज की स्क्रीन्स से चिपके रहते हैं। जहां कभी परिवार के लोग डिनर टेबल पर अपनी दिनभर की बातों के बारे में चर्चा किया करते थे, काॅफी के बहाने एक-दूसरे से संवाद किया करते थे, लिविंग रूम के सोफे पर बोर्ड गेम्स खेला करते थे, वहीं आज एक ही कमरे में रहकर भी किसी दंपत्ति को एक-दूसरे से बातचीत तक करने की फुरसत नहीं है, क्योंकि वो अपने-अपने फोन या टेबलेट्स में पूरी तरह से डूबे हुए हैं।

हो सकता है कि वो यूट्युब पर वीडियोज स्ट्रीम कर रहे हों, फुटबाॅल मैच देख रहे हों या फिर अपने पसंदीदा शोज देख रहे हों। वो एक ही छत के नीचे होते हुए भी एक-दूसरे से सीधे संवाद करने के बजाये अपने-अपने स्क्रीन्स पर बातें कर रहे हैं। ऐसे में यह साफ है कि हमारे जीवन में तकनीक का प्रभाव चाहे जितना भी सकारात्मक रहा हो, लेकिन इसके लिए हमें कीमत चुकानी पड़ी है। अंत में, अब फैसला स्वयं आपको करना है। आप तकनीक को अपने जीवन में कितना अधिक हावी होने देना चाहते हैं? इसका इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर देना नामुमकिन है।

हम आभासी दुनिया में रहने के इतने अधिक आदी हो चुके हैं कि अब इससे पूरी तरह से पीछा छुड़ाना संभव नहीं है। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि जब तक कि वास्तव में जरूरत न हो, आप अपने फोन, टेबलेट, लैपटाॅप को कुछ समय के लिए भूला दें। जैसे कि अमन और रिया की डेट नाइट के दौरान। काश वो कुछ समय के लिए अपने फोन को अलग रख कर वास्तव में एक-दूसरे के साथ अच्छी तरह कुछ समय गुजार पाते। फैसला आपके हाथों में है।