तालिबान कैसे चलाएगा अफगानिस्तान:इस्लामिक अमीरात हो सकता है हुकूमत का आधार

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(www.arya-tv.com)अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि तालिबान अफगानिस्तान को कैसे चलाएगा। सरकार की सूरत कैसी होगी, महिलाओं की स्थिति क्या होगी और क्या अफगानिस्तान फिर से आतंकवादी संगठनों का महफूज ठिकाना तो नहीं बन जाएगा?

अभी तक तालिबान ने नई सरकार के गठन की तारीख का ऐलान नहीं किया है, पर वह सरकार में महिलाओं की भागीदारी को तैयार है। उनकी स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई के लिए पहले ही हामी भर चुका है। पर महिलाओं की आजादी, उनके आने-जाने को लेकर अभी भी सवाल है। पढ़िए, अफगानिस्तान में अब क्या हो सकता है…

सरकार गठन और पॉलिसी पर तालिबान की क्या है तैयारी?
तालिबान ने कहा कि हम सरकार के कुछ मॉडल्स पर विचार कर रहे हैं और इसमें इस्लामी राज भी शामिल है। हम ऐसी सरकार बनाएंगे, जो अफगानिस्तानियों को स्वीकार हो। तालिबान स्पीकर जबीउल्ला मुजाहिद ने कहा कि हम सरकार के गठन को लेकर हमने छात्रों, विद्वानों, धार्मिक नेताओं और पूर्व मुजाहिद नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। हमने सभी प्रांतों में लोकल नेताओं से भी बातचीत की है। हम समाज के सभी वर्गों की राय जानकर एक ऐसा सिस्टम बनाएंगे, जो सभी पर लागू किया जा सके।

पाकिस्तान को लेकर किस तरह का नजरिया है?
पाकिस्तान भले ही अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के लिए बड़ा रोल अदा कर रहा हो। लेकिन, तालिबान ने दो बयानों से अपना नजरिया स्पष्ट कर दिया है। तालिबान ने कहा है कि इमरान सरकार तहरीक-ए-तालिबान का मसला खुद सुलझाएं यानी तािलबान उनके मामलों में ज्यादा दखल नहीं करना चाहता है और न ही अपनी सरकार में उनका जाहिर दखल चाहता है। साथ ही पाकिस्तान अफगान से लगी डूरंड लाइन पर फेंसिंग कर रहा है। तालिबान ने इसे लेकर चिंता जाहिर की है। कहा है कि अफगानी इसे स्वीकार नहीं करेंगे।

नई सरकार में महिलाओं की स्थिति क्या होगी?
तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि हम सरकार में महिलाओं की भागीदारी चाहते हैं। ऐलान भी किया गया है कि महिलाओं को पढ़ाई की इजाजत होगी, लेकिन उनके क्लासरूम अलग होंगे। वे लड़कियों के साथ नहीं पढ़ सकेंगी।

महिलाओं को लेकर क्या संशय हैं?
एक्सपर्ट का कहना है कि भले ही तालिबान ने महिलाओं की सरकार में भागीदारी और शिक्षा की बात कही है। लेकिन, कार्यस्थल पर उनकी आजादी, पहनने-ओढ़ने की आजादी, मार्केट और सार्वजनिक स्थलों पर घर से निकलने का मसला और सुरक्षा अभी भी सवालों के घेरे में है। हाल ही में हुई कार्यकारी उच्च शिक्षा मंत्री बकी हक्कानी की बैठक में एक भी महिला नजर नहीं आई। तालिबानी कब्जे से पहले अफगानी सरकार ने भी ऐसी ही एक बैठक ली थी, जिसमें 50 फीसदी महिलाएं शामिल थीं। ये घटना ही महिलाओं के भविष्य को लेकर कई संकेत दे देती है।

नई सरकार में आतंकी संगठनों की स्थिति?
तालिबान ने कहा है कि वह किसी भी देश के खिलाफ अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं होने देगा। लेकिन, यह चिंता बरकरार है कि अफगानिस्तान एक बार फिर आतंकियों के लिए ट्रेनिंग ग्राउंड बन जाएगा। हालांकि, तालिबान ने कहा है कि हम अमेरिका के साथ हुए समझौते का पालन करेंगे और अपनी जमीन को अमेरिका या उसके साथियों के खिलाफ हमले में इस्तेमाल नहीं होने देंगे।

तालिबान का मकसद खाली इस्लामी गवर्मेंट बनाना है और वह किसी भी देश के लिए खतरा नहीं होंगे। एक्सपर्ट का कहना है कि तालिबान और अलकायदा को अलग नहीं किया जा सकता है। तालिबान सेंट्रलाइज्ड और एक फौज की तरह नहीं है। कुछ लोग पश्चिमी देशों को लेकर शांत हों, पर हो सकता है कि हार्डलाइनर्स अल-कायदा से संबंध तोड़ने को लेकर अनिच्छा जाहिर कर सकते हैं। अल-कायदा अभी कितना ताकतवर है और क्या ये फिर से अपना ग्लोबल नेटवर्क बनाएगा, यह भी अभी अस्पष्ट है।