मृदंगाचार्य पंडित राज खुशीराम का दुनिया छोड़ जाना एक युग का अंत… हमेशा के लिए थम गई पखावज की थाप

भारतीय संगीत की परंपरा ऐसी है जिसमें प्रत्येक स्वर केवल ध्वनि नहीं, बल्कि जीवन का अनुभव होता है। यह अनुभव पीढ़ी-दर-पीढ़ी बहता आया है। जैसे गंगा की धारा कभी सूखती नहीं, वैसे ही राग-रागिनियों, गायन-वादन की धारा भी प्रवाहित होती रहती है। इसी प्रवाह की एक धार थे वादन योगी मृदंगाचार्य पंडित राज खुशीराम। लखनऊ […]

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