ग्रामीण भारत हुआ बदलाव

तीव्र गति से कृषि और ग्रामीण रोजगार विकास हमेशा से देश के नीति निर्माताओ के केंद्र में रहे हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत की परिकल्पना स्वायत्त आत्मनिर्भर गांवो के लोकतंत्र के रूप में की थी। भूमि, ग्रामीण अस्तित्व और कृषि ढांचा भारत के विकास के सबसे महत्वपूर्ण निर्धारक हैं। जमीन का असमान वितरण खेती […]

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