जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने वृंदावन के संत प्रेमानंद जी महाराज को लेकर अपने हालिया बयान पर उत्पन्न विवाद को लेकर सोमवार को स्पष्टीकरण जारी किया. उन्होंने कहा कि मैंने प्रेमानंद जी के लिए कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की. मेरा बयान गलत संदर्भ में लिया गया. जबकि मेरा आशय कुछ और था.
दरअसल एक इंटरव्यू में स्वामी रामभद्राचार्य ने कथावाचक के संदर्भ में कहा था कि पहले केवल विद्वान लोग ही शास्त्रों का प्रचार करते थे, लेकिन अब कुछ लोग बिना गहन ज्ञान के कथाएं कर रहे हैं. जब उनसे प्रेमानंद जी महाराज के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने टिप्पणी की कि प्रेमानंद जी बालक के समान” हैं और शास्त्रीय चर्चा में राधा सुधा का एक श्लोक भी ठीक से नहीं बता सकते. इस बयान को कुछ लोगों ने प्रेमानंद जी के प्रति अपमानजनक माना.
स्वामी रामभद्राचार्य का स्पष्टीकरण
विवाद बढ़ने के बाद स्वामी रामभद्राचार्य ने स्पष्ट किया कि मैंने प्रेमानंद जी के लिए कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की. मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था. मैंने केवल शास्त्रीय ज्ञान और कथावाचन में गहराई की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि वे प्रेमानंद जी का सम्मान करते हैं और संत समाज में एकता बनाए रखने की जरूरत है. रामभद्राचार्य ने भक्तों से अपील की कि उनके बयान को गलत संदर्भ में न लिया जाए.
प्रेमानंद महाराज पर अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण देते हुए आध्यात्मिक गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, “आज सनातन धर्म पर हमले हो रहे हैं, सभी हिंदुओं को मतभेद भुलाकर एकजुट होना चाहिए. हमने 500 साल की लड़ाई जीती, हमें राम मंदिर मिला और अब हमें श्री कृष्ण जन्मभूमि और काशी भी मिलेगी. मैंने प्रेमानंद पर कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की. मैं उनसे वरिष्ठ हूं एक विद्वान होने के नाते मैं सभी से संस्कृत पढ़ने को कहता हूं. मैं हर हिंदू से संस्कृत पढ़ने को कहना चाहता हूं. सभी संत मुझे प्रिय हैं, कुछ ताकतें चीजों को गलत पेश करती हैं, हम सभी को एकजुट होने की जरूरत है. अगर प्रेमानंद मुझसे मिलने आएंगे, तो मैं उन्हें गले लगाऊंगा.”