बेंगलुरु (www.arya-tv.com)। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के गोलकीपर सूरज करकेरा का कहना है कि इस वर्ष ने उन्हें सिखाया है कि जीवन में कुछ भी हो सकता है और हर किसी को इसका सामना करने के लिए मानसिक रूप से मजबूत रहने की जरूरत है।
इस वर्ष जून में जब भारतीय पुरुष और महिला हॉकी खिलाडिय़ों को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण अपने परिवार के साथ समय बिताने की अनुमति दी गई थी तब सूरज ने बेंगलुरु के साई सेंटर में ही रूकने का फसला किया था क्योंकि उनका परिवार मुंबई में रहता है। और वहां कोविड-19 के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे थे।
सूरज ने इस दौरान साई में अपना अधिकतर समय अपने कमरे में किताबें पढऩे और पिछले वर्षों के मैच देखने में बिताया। जब छह महीने की छुट्टी के बाद टीम के अन्य खिलाड़ी कैंप में वापस आये तब सूरज को डेंगू हो गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
उन्होंने इस बारे में कहा, यह वर्ष पूरी तरह उतार-चढ़ाव से भरा रहा।मैंने साई सेंटर में ठहरने का फसला किया क्योंकि मुझे लगा कि मुंबई की यात्रा करना मेरे लिए सुरक्षित नहीं है क्योंकि वहां कोविड-19 के मामले बहुत अधिक थे। लेकिन जब हम कैंप में साथ मिलकर अभ्यास शुरू करने ही वाले थे तब दुर्भाग्य से मुझे डेंगू हो गया। इसके बाद मुझे पूरी तरह स्वस्थ होने में समय लगा।
सूरज 2017 के हॉकी विश्व लीग में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे। वह 2017 में ढाका में एशिया कप में सफल होने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे। सूरज को लगता ह कि वह बहुत भाग्यशाली रहे जो उन्हें उस मुश्किल घड़ी में कोचिंग स्टॉफ का पूरा सहयोग मिला।
उन्होंने कहा, मैं उस समय होस्टल में अकेला था, हमारे मुख्य कोच और वैज्ञानिक सलाहकार लगातार मेरा ध्यान रख रहे थे। उन्होंने भी 10 महीनों से अधिक समय से अपने परिवार को नहीं देखा ह और यह उनके लिए आसान नहीं ह। मुझे व्यक्तिगत तौर पर यह महसूस होता है कि इस वर्ष ने हमें बहत कुछ सिखाया है। इसने सिखाया कि जीवन में कुछ भी हो सकता ह और हमें इसका सामना करने के लिए मानसिक रूप से मजबूत रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, मं खुद को बहुत भाग्यशाली मानता हूं जो मुझे नेशनल कोचिंग कंप में सरदार सिंह, श्रीजेश, मनप्रीत, सुनील, आकाशदीप जसे अनुभवी खिलाडिय़ों से सीखने का मिला। मंने उनसे बहुत कुछ सीखा। वे लगातार मेरा मार्गदर्शन कर रहे है। मेरा ध्यान अब अपने कौशल में सुधार करने पर है।