(www.arya-tv.com) आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति’ ने आरक्षण और प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे को कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद से मुलाकात की है। इस मांग को कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल किए जाने की बात कही है। अभी तक सरकारी क्षेत्रों में अब पिछड़ा वर्ग को 28% अनुसूचित जाति को 15%, अनुसूचित जनजाति को 7.55 और गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण का नियम है।उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में आरक्षण का मुद्दा उठने लगा है। अखिलेश यादव पहले ही अपना समर्थन दे चुके हैं तो अब उनके चाचा शिवपाल यादव ने भी पैरवी की है। उन्होंने सरकारी फार्मूले को लागू किए जाने की मांग की है। बसपा भी समय-समय पर इस मुद्दे का समर्थन करती रही है। हालांकि कांग्रेस ने अभी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।
गरीब को मिले आरक्षण
गाजियाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान शिवपाल यादव ने आरक्षण और जातिवाद के मुद्दे पर कहा कि केंद्र की सरकारों ने बड़ी ही चालाकी से पिछड़ों के हकों का हिसाब नहीं होने दिया है। उन्होंने कहा कि आखिरी बार साल 1931 में जाति आधारित जनगणना कराई गई थी, उसके आधार पर आज तक आरक्षण दिया जा रहा है। जबकि, परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना कराने के साथ निजी क्षेत्रों में भी आरक्षण को लागू किया जाए। शिवपाल यादव ने कहा कि पिछड़े, दलित, मुसलमानों और गरीब सवर्णो को मिले निजी क्षेत्र में आरक्षण दिया जाना चाहिए।
ठीक से आरक्षण सिस्टम लागू नहीं
उन्होंने कहा कि आज भी केंद्र सरकार की ग्रुप ए की नौकरियों में सवर्ण 68, ओबीसी 13, एससी 13, एसटी 6% हैं। देश के 496 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों में 448 सवर्ण हैं। 43 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 95% प्रोफेसर, 92.9 % एसोसिएट प्रोफेसर, 66.27% एसिसटेंट प्रोफेसर सवर्ण हैं। ऐसे में देखा जाए तो यहां भी ठीक से आरक्षण सिस्टम लागू नहीं किया गया है।