सोनिया बोलीं-जबरदस्ती चुप कराना मुश्किलों का हल नहीं

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(www.arya-tv.com) कांग्रेस पार्लियामेंट्री कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को PM मोदी और उनकी सरकार को लेकर अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि देश को चुप करा देने से देश की परेशानियां हल नहीं हो जाएंगी। PM मोदी जरूरी मुद्दों पर चुप हैं। उनकी सरकार के कामकाज से करोड़ों लोगों की जिंदगी प्रभावित होती है। बड़े मुद्दों पर जो भी जायज सवाल पूछा जाता है, प्रधानमंत्री उस पर चुप्पी साध लेते हैं।

सोनिया ने द हिंदू में लिखे आर्टिकल में सरकार पर संसद में विपक्ष की आवाज दबाने, एजेंसियों के दुरुपयोग, मीडिया की आजादी खत्म करने, देश में नफरत और हिंसा का माहौल बनाने का आरोप लगाया है।

1. प्रधानमंत्री की कथनी-करनी में फर्क
सोनिया ने कहा कि भारत के लोग अब यह जान चुके हैं कि मौजूदा हालात में PM मोदी की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। जब वे विपक्ष के खिलाफ गुस्सा जाहिर नहीं कर रहे होते हैं या आज की परेशानियों के लिए बीते जमाने के नेताओं पर आरोप नहीं लगा रहे होते हैं, तो उनके सभी बयानों से जरूरी मुद्दे या तो गायब होते हैं, या वे बड़ी-बड़ी, लुभावनी बातें करके इन मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। हालांकि, उनके एक्शन से साफ पता चलता है कि इस सरकार की असली मंशा क्या है।

2. PM हमारे जायज सवालों पर चुप हैं
सोनिया गांधी ने कहा कि देश को चुप करा देने से देश की परेशानियां हल नहीं हो जाएंगी। PM मोदी जरूरी मुद्दों पर चुप हैं, उनकी सरकार के कामकाज से करोड़ों लोगों की जिंदगी प्रभावित होती है, इन्हें लेकर हमारे जो जायज सवाल हैं, उन पर वे चुप हैं। किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम होने के बाद पीएम बड़े आराम से चुप हो गए हैं। लेकिन बढ़ते खर्च और फसल की घटती कीमत वाली उनकी समस्या आज बनी हुई है।

वित्त मंत्री ने अपनी बजट की स्पीच में बेरोजगारी और महंगाई का नाम भी नहीं लिया, जैसे कि ये समस्याएं हैं ही नहीं। उनकी ये चुप्पी उन लोगों के किस काम की है, जो रोजाना दूध, सब्जी, तेल और गैस भी नहीं खरीद पाते हैं। ये चुप्पी उस युवा के किस काम की है जो अब तक की सर्वाधिक बेरोजगारी दर से जूझ रहा है। चीन के साथ बॉर्डर के मसले पर हमने देखा है कि कैसे पीएम मोदी चीनी घुसपैठ को नकारते रहे हैं, सरकार इस मामले में संसद में चर्चा को रोकती आई है और विदेश मंत्री ने हार मान लेने वाला रवैया अपना लिया है।

3. देश में नफरत और हिंसा का माहौल, इसे BJP-RSS ने बढ़ावा दिया
सोनिया ने कहा कि BJP और RSS के लोगों ने देश में जिस नफरत और हिंसा को बढ़ावा दिया था, वह अब बढ़ती जा रही है और PM इसे नजरंदाज कर रहे हैं। उन्होंने एक बार भी शांति या सौहार्द्र बनाए रखने की बात नहीं कही है या दोषियों पर लगाम कसने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है, ऐसे में उन्हें सजा मिलना तो दूर की बात है।

धार्मिक त्योहार अब खुशी और उत्सव का पर्व नहीं रह गए हैं, बल्कि दूसरों को डराने और परेशान करने का मौका बनकर रह गए हैं। अब लोगों को उनके धर्म, खानपान, जाति और भाषा के आधार पर अलग-थलग किया जाता है।

4. सरकार ने संसद में विपक्ष की आवाज दबाई
उन्होंने कहा कि सरकार के सामने मजबूत विपक्ष था, जो अपने सवालों पर टिका हुआ था। इस वजह से नरेंद्र मोदी सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाने के लिए ऐसे कदम उठाए, जो पहले कभी नहीं उठाए गए थे। सरकार ने विपक्षी सांसदों की स्पीच हटाई, हमें चर्चा करने से रोका, संसद सदस्यों पर हमला किया और आखिर में बिजली की रफ्तार से एक कांग्रेस सांसद की सदस्यता रद्द कर दी।

इस वजह से लोगों के 45 लाख करोड़ रुपए का बजट बिना किसी चर्चा के ही पास हो गया। बल्कि प्रधानमंत्री उस वक्त अपने संसदीय क्षेत्र में प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने में व्यस्त थे, जब लोकसभा में फाइनेंस बिल को जबरदस्ती पारित किया गया था।