बरेली(www.arya-tv.com) बतौर प्रबंध समिति अध्यक्ष बरेली कॉलेज में जिस कुर्सी पर बैठकर डीएम बैठकों की अध्यक्षता करते हैं, पांच साल पहले करोड़ों के गबन की बुनियाद उसी कुर्सी पर बैठे उपाध्यक्ष अलीमुद्दीन की अध्यक्षता में हुई बैठक में रखी गई।
जांच में गबन की पुष्टि के बाद एफआईआर तो करा दी गई लेकिन क्राइम ब्रांच को एक्शन में आने में दो साल लग गए। विशेषज्ञ के तौर पर पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के टेंडर प्रक्रिया को अवैध करार दिए जाने के बाद सोमवार को इस मामले में पहली गिरफ्तारी हुई।
बरेली कॉलेज की प्रबंध समिति के डीएम पदेन अध्यक्ष होते हैं मगर जिस बैठक में निर्माण कार्यों के प्रस्तावों पर फैसला लिया गया, वह डीएम की गैरमौजूदगी में हुई थी और अध्यक्षता करने की भूमिका उपाध्यक्ष हाजी अलीमुद्दीन ने निभाई थी।
यही प्रमुख कारण रहा जिसकी वजह से हाजी अलीमुद्दीन को गबन का आरोपी माना गया। क्राइम ब्रांच मंगलवार को उन्हें अदालत में पेश करेगी। क्राइम ब्रांच के मुताबिक प्रबंध समिति की बैठक में सारे प्रस्ताव विधि विरुद्ध पारित हुए फिर भी किसी सदस्य ने इस पर आपत्ति नहीं जताई लिहाजा बैठक में मौजूद सदस्यों की भी भूमिका की जांच की जा रही है।
बता दें कि बरेली कॉलेज में वर्ष 2016 में एक मंजिला परीक्षा भवन और कुछ सड़कें बनाने के चार-पांच टेंडर हुए थे। यह ठेका मैसर्स आर एंड एम कांट्रेक्टर्स को दिया गया था। इसके बाद प्रबंध समिति की बैठक में उसी दर पर उसी ठेकेदार को परीक्षा भवन की दो और मंजिल और 15 आवास बनाने के साथ कुछ और निर्माण कार्य कराने का प्रस्ताव मंजूर कराकर करोड़ों के निर्माण कार्य करा दिए गए।
2018 में इस मामले ने तूल पकड़ा तो शिकायतें शुरू हो गईं। तत्कालीन कमिश्नर रणवीर प्रसाद के आदेश पर जांच के बाद क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. राजेश प्रकाश ने थाना बारादरी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।