सीतापुर।(www.arya-tv.com) जोहरियामऊ के 72 वर्षीय श्रवण कुमार मिश्र आज भी अपने को बुजुर्ग नहीं मानते। वह सुबह आठ बजे खेत पर ही मिलते हैं। 90 बीघे के जोतकार श्रवण की बाग का अमरूद आसपास क्षेत्र में अपनी बड़ी पहचान बना चुका है। तीन साल पहले लखनऊ में लगी कृषि प्रदर्शनी में श्रवण गए थे, जहां से उन्होंने अमरूद फसल की खेती की सीख मिली।
बताया कि, प्रदर्शनी में अमरूद के पौधों को देख वे प्रभावित हुए और फिर छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जाकर वीएनआर-वीही प्रजाति के दो हजार अमरूद के पेड़ लाकर अपने 20 बीघे खेत में रोपे। उस दौरान इस प्रत्येक पेड़ की कीमत 160 रुपये थे। 15 मार्च को उनकी इस अमरूद फसल की रोपाई के दो साल पूरे हो रहे हैं। पौधों से अमरूद निकलने लगे हैं पर, पेड़ की शाखा कमजोर होने से श्रवण अभी फसल रख नहीं रहे हैं।
इस बार आई फसल में एक-एक अमरूद 500 ग्राम से एक किग्रा तक के वजन का निकला है। स्नातक तक पढ़े-लिखे श्रवण बताते हैं कि वीएनआर-वीही प्रजाति का अमरूद आम तरह का अमरूद नहीं है। इसे खाने पर नाशपाती और सेब फल जैसा स्वाद आता है और काटने पर कट्ट की आवाज आती है। जितना काटेंगे उतना ही टूटता है। पहले करते थे केला की खेती श्रवण ने बताया कि तीन साल पहले वे केला की खेती करते थे पर, इसमें मेहनत और खर्च अधिक था। इसलिए अब अमरूद के साथ ही वे एक एकड़ में शिमला मिर्च व डेढ़ एकड़ में चना की सह फसली खेती कर रहे हैं। अगले साल बेचेंगे फसल