बढ़ी एक्टिविटी; नौ महीने से चल रहा छंटनी का दौर खत्म, शुरू हुईं भर्तियां

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(www.arya-tv.com) मैन्युफैक्चरिंग की तरह सर्विस सेक्टर में भी एक्टिविटी बढ़ रही है, लेकिन उसकी रफ्तार में मासिक आधार पर कमी आई है। इसमें एक अहम बात यह है कि दोनों सेक्टर एक मोर्चे पर एक-दूसरे से अलग कदम उठा रहे हैं। पिछले महीने यानी सितंबर में सर्विस सेक्टर की कंपनियों ने भर्तियां शुरू की, जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में छंटनी बढ़ी।

घरेलू बाजार में मांग बढ़ी

एक निजी सर्वेक्षण के मुताबिक, घरेलू बाजार में मांग बढ़ने और कोविड से जुड़ी पाबंंदियां घटने से सर्विस सेक्टर में लगातार दूसरे महीने एक्टिविटी बढ़ी। इसको देखते हुए लगभग एक साल बाद पहली बार इस सेक्टर की कंपनियों ने भर्तियां शुरू कीं।

55.2 पर रहा सर्विसेज PMI

IHS मार्किट सर्विसेज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) सितंबर में 55.2 पर रहा। यह एक महीने पहले यानी अगस्त में 18 महीने के उच्चतम स्तर 56.7 पर पहुच गया था। इस तरह, IHS मार्किट सर्विसेज PMI 50 से ऊपर रहा, जो यह बताता है कि एक्टिविटी बढ़ी है। इसके नीचे होने का मतलब नेगेटिव ग्रोथ होता है।

कंपनियों को मिले ज्यादा नए काम

IHS मार्किट की एसोसिएट डायरेक्टर- इकोनॉमिक्स, पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘कोविड संक्रमण के मामले घटने और उससे जुड़ी पाबंंदियां हटाए जाने से कंपनियों को रिकवरी का फायदा लगातार मिल रहा है। बाजार की स्थितियां बेहतर होने से सितंबर में कंपनियां ज्यादा नए काम ले पाईं और अपना कामकाज बढ़ा सकीं।’

विदेश में मांग कमजोर बनी हुई है

सर्वेक्षण के मुताबिक सितंबर में कम रफ्तार से ही सही, न्यू बिजनेस सब-इंडेक्स लगातार दूसरे महीने बढ़ा। सरकारी एजेंसियों के कोविड से जुड़ी पाबंंदियां हटाने से ग्राहकों की संख्या और कंपनियों की आमदनी में इजाफा हुआ। इससे पता चलता है कि घरेलू मांग में सुधार आया है, लेकिन विदेशी बाजार में मांग कमजोर बनी हुई है और उसमें लगातार 19 महीने कमी आई है।

कंपनियों का रुख सकारात्मक बना हुआ है

कोविड के संक्रमण में लगातार कमी आने और पाबंंदियां घटाए जाने की उम्मीद से कंपनियों का रुख सकारात्मक बना हुआ है, लेकिन महंगाई ज्यादा रहने की चिंता से ग्रोथ की संभावनाएं कमजोर बनी हुई हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने महंगाई के लिए 2%-6% का दायरा तय किया है, जो रॉयटर्स के सर्वेक्षण के मुताबिक इस वित्त वर्ष ऊपरी सीमा के पास 5.4% पर रह सकती है।

इनपुट कॉस्ट लगातार 15 महीने बढ़ी

सितंबर में कंपनियों की इनपुट कॉस्ट लगातार 15 महीने बढ़ी। कच्चे माल की कीमत और माल भाड़ा में इजाफा हुआ, लेकिन कंपनियों ने बढ़ी लागत का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाला। जानकारों का कहना है कि इन सबके बावजूद RBI ब्याज दर बढ़ाने से परहेज कर सकता है, क्योंकि उसका ध्यान ग्रोथ बढ़ाने पर है।

सर्विस सेक्टर में नई भर्तियां शुरू

सितंबर में अच्छी बात यह रही कि लगातार नौ महीने से छंटनी कर रही सर्विस सेक्टर की कंपनियों ने अपना रुख बदल लिया और नई भर्तियां शुरू कीं। हालांकि, भर्तियां बहुत कम रहीं, क्योंकि कंपनियां मौजूदा वर्क फोर्स से पुराने काम निपटाते हुए बढ़ी मांग को भी पूरा कर रही हैं।

जॉब में रिकवरी जारी रहने की गारंटी नहीं

पॉलियाना ने कहा, ‘कंपनियों के पुराने काम में कमी आई है। इसका मतलब यह है कि कंपनियों के पास बढ़ते कामकाज को संभालने के लिए पर्याप्त वर्क फोर्स है। तो, जॉब मार्केट में रिकवरी जारी रहने की गारंटी नहीं है।’