(www.arya-tv.com) कानपुर चिड़ियाघर में बिजनौर से रेस्क्यू कर लाए गए मादा तेंदुए की मौत हो गई। मादा तेंदुए को रेस्क्यू कर चिड़ियाघर में इलाज के लिए लाया गया था। मादा तेंदुए के पिछले बाएं पंजे में गंभीर चोटें आई थीं। डॉक्टर लगातार जद्दोजहद करते रहे। लेकिन मादा तेंदुए ने कानपुर चिड़ियाघर में 11 दिनों के बाद मंगलवार सुबह दम तोड़ दिया।
10 दिन पहले ही कानपुर जू लाया गया था
20 अप्रैल को कानपुर चिड़ियाघर में 8 माह का मादा तेंदुआ लाया गया था। चिड़ियाघर के उप निदेशक और पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनुराग सिंह की टीम लगातार मादा तेंदुए को बचाने की जद्दोजहद कर रहे थे। इलाज में एलोपैथिक दवाइयों के साथ प्राकृतिक इलाज करके भी तेंदुए में फैल रहे इन्फेक्शन को रोकने की कोशिश की गई। लेकिन तेंदुए के शरीर में सेप्टीसीमिया इंफेक्शन को रोक पाना मुश्किल हो गया। शरीर में इंफेक्शन बढ़ जाने की वजह से मादा तेंदुए कि 11 दिन में मौत हो गई।
तेंदुए के बाएं पैर में चोट आई थी
डॉ. अनुराग सिंह ने बताया कि बिजनौर में शिकारी के जाल में फंसकर मादा तेंदुए के पिछले बाएं पंजे में गंभीर चोट आई थी। इसके बाद उसे इलाज के लिए कानपुर जू लाया गया। इसका लगातार इलाज किया जा रहा था। हर घंटे निगरानी की जा रही थी। पूरा प्रयास किया गया, लेकिन तेंदुए के शरीर में फैल रहा सेप्टीसीमिया इंफेक्शन नहीं रोका जा सका।
उन्होंने यह भी बताया कि मादा तेंदुआ पहले से ही कमजोर था। इस वजह से शायद वो रिकवर नहीं कर सका। उन्होंने यह भी बताया कि शुरुआती दिनों में तेंदुए की हालत सुधर रही थी, लेकिन धीरे-धीरे उसकी हालत बिगड़ती गई और 1 मई को मादा तेंदुआ जिंदगी की जंग हार गई।