(www.arya-tv.com) राम मंदिर का निर्माण जैसे ही शुरू हुआ उसी के साथ उसकी सुरक्षा कैसे दुरुस्त हो इस पर पीएम मोदी की अगुआई में गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय एजेंसियों से समन्वय किया. वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश यानी जमीनी स्तर पर पुख्ता सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की. पहली जरूरत इस बात की थी कि मंदिर की सुरक्षा के लिए एक विश्व स्तरीय कंसल्टेंसी ली जाए ताकि बदलते हुए सुरक्षा परिदृश्य के मुताबिक वहां मुनासिब इंतजाम किए जा सके.
सीआईएसएफ ने दी कंसल्टेंसी
केंद्र सरकार का महत्वपूर्ण बल सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स यानी सीआईएसएफ इस काम के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त था. क्योंकि पूरे देश भर में यही एकमात्र ऐसी संस्था है जो संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा के लिए अपनी कंसल्टेंसी देती है. यही नहीं राम मंदिर की सुरक्षा पर कंसल्टेंसी देने से पहले सीआईएसएफ अपनी टेक विंग के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों में महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों पर अपनी सुरक्षा संबंधित कंसल्टेंसी दे चुका है. राम मंदिर की भी सुरक्षा सुनिश्चित करने में यही हुआ. जिसके बाद तैयार हुई मंदिर सुरक्षा संबंधित योजना. मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था इसी के आधार पर की जा रही है. जिस तरीके से राम मंदिर की सुरक्षा का प्लान तैयार किया गया है वह भारत सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का नतीजा है. क्योंकि उसमें वह सारी चीजें होंगी जो हर एक खतरे को नाकाम करेंगी.
क्या कहा सीआईएसएफ के पूर्व डीजी ने
सीआईएसएफ के पूर्व डीजी और उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजी रहे ओपी सिंह का कहना है कि उत्तर प्रदेश में कई महत्वपूर्ण धार्मिक संस्थान हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में राम मंदिर जन्मभूमि के अलावा काशी विश्वनाथ मंदिर, मथुरा जन्मभूमि और श्रद्धा से जुड़ी कई जगह हैं. इसके अलावा ताजमहल सहित कई विश्व धरोहर स्थल भी हैं. ऐसी जगहों की सुरक्षा के लिए प्रदेश को खुद की फोर्स की जरूरत महसूस हुई. इसके बाद स्टेट सिक्योरिटी फोर्स का गठन किया गया और अब वही राम मंदिर की सुरक्षा के लिए तैनात है. ओपी सिंह के मुताबिक सीआईएसएफ की कंसल्टेंसी, उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा स्टेट सिक्योरिटी फोर्स का गठन और उसका राम मंदिर की सुरक्षा में तैनात होना केंद्र और प्रदेश की सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय का एक बेहतरीन उदाहरण है.
सुरक्षा योजना बनाने में लगे 2 माह
सीआईएसएफ की टेक विंग ने यूपी सरकार को राम मंदिर की सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. इन सुझावों में प्रमुख हैं मल्टी लेयर सिक्योरिटी, फ्रिस्किंग और चेकिंग में आधुनिकतम उपकरणों का इस्तेमाल, मंदिर सुरक्षा के लिए अपना बम डिस्पोजल स्क्वाड और डॉग स्क्वाड. इसके अलावा राम मंदिर परिसर में किस जगह कितनी भीड़ होने का अनुमान है इसका भी गहन आकलन किया गया है. सुरक्षा योजना के सुझाव को तैयार करने में दो महीने का वक्त लगा. जिस दौरान सीआईएसएफ और उत्तर प्रदेश सरकार के कई दौर की बैठकें हुईं.
अलग-अलग एजेंसियों से लिया इनपुट
सीआईएसएफ ने जो थ्रेट परसेप्शन राम मंदिर सुरक्षा के मद्देनजर तैयार किया उसमें स्थानीय पुलिस की मदद से खुफिया एजेंसियों से जानकारी ली और अलग-अलग एजेंसियों से मंदिर की सुरक्षा से जुड़ा इनपुट लिया. मंदिर के लिए क्राइसिस मैनेजमेंट किस तरीके का होना चाहिए उसके लिए भी एक पूरा खाका तैयार किया गया है और इसी के मुताबिक सुरक्षा के लिए सुझाव दिए गए हैं. राम मंदिर की सुरक्षा के लिए खास सुरक्षा ग्रिल लगाने के भी सुझाव दिए गए हैं.
4 साल में 36 संस्थाओं को दिए सुझाव
मंदिर के नक्शे के मुताबिक ही वहां सुरक्षा बलों की तैनाती का सुझाव दिया गया है और उन पर निगरानी रखने के लिए भी एक खास टीम बनाने की संस्तुति की गई है. राम मंदिर सुरक्षा योजना के लिए सुझाव देते वक्त सीआईएसएफ ने इस बात का खास ध्यान रखा है कि परिसर की सुरक्षा अपने उच्चतम स्तर पर हो इसके अलावा फायर सेफ्टी, अटेंडेंस एडमिनिस्ट्रेशन जैसे पहलू भी पूरी तरीके से दुरुस्त हों. सीआईएसफ में अपने सुझावों में मंदिर परिसर में तैनात होने वाले सुरक्षा बलों को समय-समय पर बदली परिस्थितियों के मुताबिक ट्रेनिंग देने के भी पहलू को शामिल किया है. सीआईएसफ पिछले चार सालों यानी 2019 से 2023 तक देशभर की 36 संस्थाओं को सुरक्षा संबंधित सुझाव यानी अपनी कंसल्टेंसी दे चुका है. यही नहीं पिछले 23 सालों में सीआईएसएफ 226 संस्थाओं को सुरक्षा योजना का सुझाव दे चुका है.