प्रयागराज (www.arya-tv.com) हार्ड ब्रांड ग्रूड कॉपर कांटैक्ट वायर (एचडीजीसी) की सप्लाई और फर्जी बिलों के जरिए 10 साल के भीतर कितने करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तफ्तीश में इससे पर्दा उठ जाएगा। इसके बाद फिर आरडीएसओ, राइट्स और कोर के अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी। सूत्रों का दावा है कि चंद्रा मेटल्स प्राइवेट लिमिटेड, जेके केबल्स लिमिटेड, श्रीराम केबल्स प्राइवेट लिमिटेड और ओम साईं उद्योग प्राइवेट लिमिटेड समेत कई कंपनियां ने वर्ष 2005-06 से लेकर 2015-16 तक एचडीजीसी की सप्लाई की थी।
सीबीआइ की जांच में महज एक साल के भीतर सात करोड़ 76 लाख रुपये के घोटाले का पता चला। इस आधार पर माना जा रहा है कि एक दशक में 40-50 करोड़ रुपये का घोटाला हो सकता है। अफसरों व सप्लाई कंपनियों के विरुद्ध साक्ष्य मिलने के बाद ईडी उनकी संपत्तियों को अटैच करने की कार्रवाई करेगी।
दरअसल, कंपनी और कतिपय अधिकारियों ने मिलीभगत करके रेलवे से अधिक धनराशि की वसूल की थी। इसकी जानकारी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को हुई तो गोपनीय ढंग से छानबीन की गई। फिर 30 नवंबर 2017 को सीबीआइ के तत्कालीन इंस्पेक्टर आलोक शाही ने नौ अफसरों व कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। अब उसी एफआइआर को आधार बनाकर ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत इंफोर्समेंट केस इंफार्मेशन रिपोर्ट (ईसीईआर) लिखकर छानबीन शुरू कर दी है। आरोपितों में आरडीएसओ के रिटायर्ड डायरेक्ट्रेट जनरल प्रमोद कृष्ण श्रीवास्तव, राइट्स के डीजीएम अभिषेक, सीनियर सेक्शन इंजीनियर रणवीर सिंह, इंस्पेक्टिंग मैनेजर राजेश कुमार चौरसिया, कोर के फायनेंस एडवाइजर अजय कुमार लाल श्रीवास्तव, सेक्शन ऑफीसर एकाउंट एनएच अंसारी, इंस्पेक्टिंग इंजीनियर सुनील कुमार पंडा, संजीव कुमार श्रीवास्तव, असिस्टेंट मैनेजर संतोष कुमार चक्रवाल व कंपनियों का नाम शामिल है।