UGC NET री-एग्जाम को रोकने के लिए याचिका दायर, याचिकाकर्ता ने कहा- झूठे साक्ष्य के आधार पर… अन्यायपूर्ण है

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(www.arya-tv.com)  यूजीसी नेट परीक्षा कैंसिल करने के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. दायर की गई याचिका में बताया गया है कि झूठे साक्ष्य के आधार पर कैंसिलेशन अन्यायपूर्ण है. यह भारत के संविधान में निष्पक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है. इस साल यूजीसी नेट 2024 18 जून को आयोजित की गई थी और मंत्रालय ने 19 जून को यूजीसी नेट परीक्षा रद्द करने का आदेश दिया था. इसके बाद इस मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया था.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ अधिवक्ता उज्ज्वल गौड़ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगी. पीटीआई के अनुसार दायर याचिका में यूजीसी नेट की प्रस्तावित पुन: परीक्षा पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है, जब तक कि सीबीआई पेपर लीक के आरोपों की जांच पूरी नहीं कर लेती.

यूजीसी नेट की पुन: परीक्षा पर रोक लगाने के लिए दायर हुई याचिका
यूजीसी नेट की पुन: परीक्षा पर रोक लगाने वाली याचिका में अनुरोध किया गया है कि सीबीआई यूजीसी नेट पेपर लीक के आरोपों की अपनी जांच में तेजी लाए और एक डिटेल रिपोर्ट प्रस्तुत करें. इसके अतिरिक्त यह प्रतिवादियों को कैंसिलेशन फैसले का सपोर्ट करने वाले डॉक्यूमेंट्स और साक्ष्य प्रदान करने के लिए निर्देश मांगता है, जिसमें कथित पेपर लीक का विवरण और डार्क वेब पर लीक की पहचान करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली शामिल है.

याचिकाकर्ता का तर्क है कि झूठे साक्ष्य के आधार पर कैंसिलेशन, न्याय का घोर हनन है और यह भारत के संविधान में निष्पक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. कैंसिलेशन का यह फैसला मनमानी और छात्रों के साथ अन्यायपूर्ण है. इसके अतिरिक्त NTA ने चल रही जांच के बावजूद अगस्त 2024 में UGC NET परीक्षा के लिए नई तिथियों की घोषणा की है.