(www.arya-tv.com) लखनऊ विश्वविधालय के दर्शनशास्त्र विभाग के द्वारा 10/08/2024 को सैटरडे सेमिनार की विशेष श्रृंखला में विभागाध्यक्षा डॉ० रजनी श्रीवास्तव के संरक्षण में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया ।
इस व्याख्यान में दर्शनशास्त्र विभाग के शोध छात्र नरेंद्र विकल ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया । उनके द्वारा प्रस्तुत व्याख्यान का विषय “मानववाद एवं मानवतावाद में अंतर तथा बौद्ध दर्शन में मानवतावाद की समीक्षा ” था। उन्होंने ने अपने व्याख्यान का प्रारंभ मानववाद एवं मानवतावाद को परिभाषित करने के साथ किया और इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर इन दोनों विचार धाराओं में जो अंतर है उसे भी स्पष्ट किया। अपने व्याख्यान में उन्होंने इस बात की भी चर्चा कि कैसे मानववाद एवं मानवतावाद समाज एवं मनुष्य के विकास में योगदान कर सकता है। उनके अनुसार जहां मानववाद एक वैज्ञानिक विचारधारा के आधार पर आगे बढ़ता तो वहीं मानवतावाद एक धार्मिक एवं आध्यात्मिक विचारधारा को लेकर आगे बढ़ता है। अपने व्याख्यान में व्याख्याता ने बौद्ध दर्शन में मानववाद एवं मानवतावाद के ऊपर जो विचार हैं या जिस रूप में इसे फलित करने का प्रायस किया गया है, उसकी भी चर्चा की। उन्होंने बौद्ध दर्शन के चार आर्य सत्यों को भी इसी संदर्भ में व्याख्यायित किया।
उनके व्याख्यान के विभाग के पश्चात विभाग की प्राचार्य डॉ. रजनी श्रीवास्तव ने उनके व्याख्यान को संछिप्त करते हुए अपनी टिप्पणियों को व्यक्त किया। सेमिनार में दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं प्राचार्य प्रोफ़ेसर राकेश चंद्रा, डॉ. ममता सिंह एवं प्राचार्य डॉ. प्रशान्त शुक्ला उपस्थित रहे। सेमिनार के कोऑर्डिनेटर विभाग की शोध छात्रा निशी कुमारी एवं रूपा सिंह रही। सेमिनार के सफलता पूर्वक समापन में विभाग के अन्य शोध छात्रों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।